बारह साल के मीडिया सफर की मेरी कहानी, मेरी जुबानी चण्डीगढ़ से अंतराष्ट्रीय मंच तक
हम जब जन्म लेते हैं तब कुछ पता नहीं होता की हम खुद क्या हैं? ये जीवन क्या है? जैसे – जैसे बड़े होते जाएंगे क्या – क्या पाएंगे और क्या – क्या खो देगें इसका हमें कुछ पता नहीं होता है। लेकिन जैसे साल दर साल बीतते जाते हैं हम सपनों की एक अलग ही दुनिया बसा लेते हैं और कोशिश करते हैं कि हमारा हर सपना पूरा हो। लेकिन सभी का हर सपना कभी पूरा नहीं होता। कभी हम कामयाब होते हैं।
कभी कहीं पर लड़खड़ाते भी हैं। मेरा जीवन भी कुछ इसी तरह का है लेकिन इसमें सबसे अहम् बात है कि मैं लड़खड़ाई जरूर हूँ लेकिन कभी गिरी नहीं क्योंकि बहुत बार ऐसा भी देखा गया है कि जीवन के सफर में बहुत से लोग गिर जाने पर फिर कभी संभल नहीं पाये।
हमारा मीडिया फील्ड भी बहुत कठिन उतार – चढ़ाव वाला व्यवसायिक फील्ड है। यहाँ बहुत कठिन चुनौतियों का सामना हमें हर रोज करना पड़ता है लेकिन जीतता वही है जो हर रोज कठिनाइयों से दो – चार होता है।
हमारे मीडिया फील्ड में रातोरात शोहरत पाने के बहुत सारे शॉर्ट कट रास्ते भी हैं लेकिन मैंने हमेशा वो रास्ता चुना जो सही था मेरे देश के लिए भी और मेरे लिए भी। शॉर्ट कट मुझे कभी पसन्द नहीं क्योंकि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।
यहाँ मैंने जितना पाया है कुछ उतना ही खोया भी है लेकिन पाना – खोना हमारे जीवन का हिस्सा है और मैं इसे एन्जॉय करती हूँ कभी मुस्कुराते हुए और कभी आँसुओं से लेकिन हर परिस्थिति मुझे न केवल ताकत देती है बल्कि हंसते – मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते रहने का हौसला भी देती है।
जब पीएचडी करने के साथ -साथ मीडिया में काम करते हुए जो सिखने का सफर शुरू हुआ वो आज तक लगातार जारी है। हर कोई अपनी यात्रा के पड़ाव निर्धारित करता है लेकिन मैंने न रुकना सीखा और न ही थकना।
बारह साल पहले 2010 में मीडिया यात्रा की शुरूआत की थी। वही सफर चलते -चलते चण्डीगढ़ से राजधानी दिल्ली और फिर अंतर्राष्ट्रीय मंच तक बढ़ता ही चला गया। इस सफर में कारवां मिलता गया और हम चलते रहे। रास्ता लम्बा रहा है और कठिन भी। तूफान भी आते रहे और अँधिया भी डराती रही लेकिन कश्ती हमारी बढ़ती रही।
अभी हाल ही में मिली (RIEAS) Research Institute for European and American Studies की उपलब्धि जहां मैं As a International Advisors (Dr. Manu Chaudhary (PhD), Journalist, Indian-Greek Diaspora Relations, India) से जल्द ही उनके Administrative Board में प्रोमोशन पाने वाली हूँ क्योंकि मेरा काम और हार्डवर्क उन्हें आकर्षित करता है और वो मेरी जिम्मेदारियाँ बढ़ाना चाहते हैं।
जल्द ही आप मुझे वहां पाएंगे जब उनकी इंटरनेशनल इंटरनल कमेटी इसे फाइनल कर देगी। मेरे जीवन में आये सबके सहयोग की मैं सदा आभारी हूँ।
NOTE — You can see one of my Photo belongs to The Historic, approximate 111 years old KLK-SML Railway line which was opened for public traffic on 9th Nov. 1903, became UNESCO Declared world Heritage Railway line, when it was conferred Heritage status on 10th July 2008 & listed under “Mountain Railways of India”. I am seating on that railway track. I was there with my other team members to making a documentary on it .