जहाँ जल संरक्षण की जरूरत वहाँ हो रही जल की बर्बादी .
@Saurabh Dwivedi
( गांव पर चर्चा , ग्राम नोनार जनपद चित्रकूट )
गांव पर चर्चा नोनार में पहुंचने के वक्त जल की बर्बादी का मुद्दा उभरकर सामने आया है। प्रशासनिक स्तर पर सबकुछ ठीक-ठाक होने की सूचना भी जनता द्वारा मिली है। जनता का कहना है कि जल की मारामारी है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कलम नोनार गांव मे पीने के पानी की व्यवस्था को उत्तम बता देती है। आश्चर्यजनक है कि जहाँ जल संरक्षण एवं जल समस्या का समाधान होना चाहिए वहाँ की हकीकत जानकर हैरानी होती है।
स्वजल धारा योजना के अंतर्गत पीने के पानी की व्यवस्था हुई थी। ग्राम नोनार मे कागजी घोड़े दौड़ाने के बाद बड़ी मुश्किल से 2003 – 04 के आसपास एक जलटंकी का निर्माण हुआ। जैसे ही जलटंकी बनी कि गांव की महिलाओं के मन मे खुशी के लड्डू फूटने लगे थे।
गांव की महिलाओं को लगा कि अब कुंआ से पानी ले जाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। आखिर पुरूषों को यह दर्द शायद ही महसूस हो कि कुएं से पानी निकालना और सर पर घड़ा या अन्य कोई जल – पात्र लेकर घर तक आना कितना दर्द से भरा काम था। जब उस महिला के कंधो मे दर्द एवं गर्दन पर दर्द उठने लगता है। रात की नींद बड़ी मुश्किल से नसीब होती है , चूंकि दिन भर के और कामों से भी महिलाओं की कमर मे दर्द बना रहना आम बात है। इसलिए तो कोई भी दर्दनाशक मलहम बनाने वाली कंपनी शहरी महिला को प्रचार मे दिखाती है कि ‘ आह मेरी कमर का दर्द ‘ फिर वह कमर दर्द का इलाज बताती है।
यही वजह है कि पीने के पानी की सुविधा नजर आते ही गांव की महिलाओं और युवाओं को बहुत खुशी हुई। सर्वप्रथम जल टंकी बनने और पाइप लाइन बिछाने में लगभग दो – तीन वर्ष लग ही चुके थे। जब घर – घर पानी पहुंचने की बारी आई तो तकनीकी खराबी का सामना शुरू हो गया। फिर भी किसी भी तरह घरों के दरवाजे तक पानी पहुंचने का प्रबंध हुआ।
अब गौर करने योग्य है कि कुछ ही वर्ष मे पाइप लाइन ध्वस्त होने लगती है। गांव वालों की माने तो उनका कहना है कि जगह-जगह लीकेज की समस्या है और पाइप लाइन जाने कैसे बिछाई गई है कि लोगों के घरों तक सीधी सप्लाई बहुत कम हो पाती है। सभी लोग जुगाड़ से पानी लेने को मजबूर हैं। पूरी पाइप लाइन पुनः बिछाए जाने की आवश्यकता है और बोर का रिबोर भी बहुत जरूरी है पर अधिकारियों के कागज मे सबकुछ दुरूस्त होने की सूचना मिली है तो आखिर नोनार गांव की जल समस्या की ओर कौन ध्यान देगा ?
जब हम जल टंकी के पास पहुंचे तो हकीकत से सामना हुआ। जल टंकी के पाइप से सैकड़ो लीटर प्रतिदिन पानी लीक हो जाने की संभावना गांव वाले बताने लगे जो साफ नजर भी आता है। इस बोर से लगभग एक इंच पानी ही प्राप्त होने की सूचना मिली , जिससे भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक दिन विकराल समस्या खड़ी हो जाएगी।
असल में इस गांव की पानी की समस्या बड़ी भीषण है। जो खेती – किसानी पर भी बुरा असर डालती है। इस गांव का भूगर्भ जल अमूमन खारा ही है। जैसे समुद्र का खारा पानी। अब चिंतनीय है कि आजादी के बाद से इस गांव के किसान और किसानी की ओर किसी भी नेतृत्वकर्ता और प्रशासनिक व्यवस्था का ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ।
यहाँ सिचाई के पानी की कोई सरकारी सुविधा नहीं है। पूर्व में तत्कालीन सांसद श्यामाचरण गुप्त दो ट्यूबवेल लगवाने की दहाड़ मारकर गए थे , फिर वह दहाड़ एक दहाड़ की तरह ही गुमनाम हो गई।
एक किसान के मुताबिक हाल ही मे जो निजी बोर कराया गया है। उसका पानी इतना खराब है कि खेत की मिट्टी खराब होती जा रही है और उस पानी की सिंचाई से फसल अच्छी नहीं हो रही है। संभवतः खेत की मिट्टी बदलने से कहीं उपज बहुत कम ना होने लगे पर इन मुख्य समस्याओं पर शासन – प्रशासन की सूक्ष्म दृष्टि कब और कैसे पडेगी ?
इस गांव में जल संरक्षण की जरूरत है पर जल की बर्बादी हो रही है। गांव की खेती – किसानी के लिए उम्दा गुणवत्ता के जल की व्यवस्था सरकारी ट्यूबवेल से आसपास से की जा सकती है , जिससे अच्छा पानी मिलने से किसानों को लाभ होगा। पीने के पानी की समस्या अगले पांच – दस वर्षों मे अधिक विकराल हो सकती है , यह जरूरी है कि शासन – प्रशासन शीघ्र ही ध्यान दे जिससे जल समस्या का हल ढूंढा जा सके।
वैसे अब गांव के युवा जागरूक हो रहे हैं। महिलाओं मे भी खूब मुखरता आई है और वह अपने जीवन की सुख – सुविधाओं के लिए बोलने लगी हैं। अतः सत्य है कि गांव पर चर्चा से संवाद क्रांति शुरू होगी और शासन – प्रशासन को गांव की समस्याओं का अंत प्रमुखता से करना होगा।
गांव के युवाओं की योजना बन रही है कि सिचाईं के साधन और पीने के पानी की समस्या के साथ बिजली समस्या पर युवा एक बड़ी क्रांति करेंगे जिससे शासन – प्रशासन सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारकर सुख – सुविधाएं मुहैया कराएगा। इस तरह से गांव पर चर्चा के प्रथम चरण से महसूस हुआ कि गांव चर्चा के केन्द्र पर आएगा और उच्च जीवन स्तर के लिए काम हो सकेगा। गौरतलब है कि इस चर्चा पर सांसद , विधायक , सत्तासीन दल के जिलाध्यक्ष और जनपद के तमाम प्रशासनिक अफसरों की नजर भी है , जिससे आशा है कि शीघ्र ही गांव की समस्याओं के अंत की ओर प्रयास होने लगेंगे। यह एक बड़ा मुद्दा बन रहा है।
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