विद्यालय मे अनबैलेट सो रहे शिक्षा मित्र प्रेम बाबू यादव की कुंभकर्णी नींद
लोहगड़ी रामनगर / चित्रकूट : एक शिक्षा मित्र हैं जिनका नाम प्रेम बाबू हैं। ये लोहगड़ी विद्यालय मे शिक्षा के मित्र हैं लेकिन शिक्षा के दुश्मन से कम नही नजर आ रहे हैं !
इन साइड स्टोरी पर जाएं तो प्रेम बाबू यादव के किस्से तमाम सुनने को मिलते हैं। ग्रामीण सूत्रों का कहना है कि प्रेम बाबू यादव दबंगई के मामले मे नंबर वन हैं और पढ़ाने वाले शिक्षक राधेश्याम मिश्र को सरेआम धमकी देते हैं।
इन शिक्षा मित्र साहब का मिड डे मील के केला से लेकर खिचड़ी तक मे कंट्रोल है। ये बैलेट और अनबैलेट जैसे शब्दों का प्रयोग भी करते हैं कि बैलेट को देना अनबैलेट को मत देना। अनबैलेट वो छात्र हैं जो अगले साल योगी सरकार के स्कूल चलो अभियान को सफल बनाएंगे लेकिन प्रेम बाबू नही चाहते कि विद्यालय मे आठ दस बच्चे ऐसे आएं जो अगले साल रजिस्टर्ड छात्र हो जाएं लेकिन यह नियम की बात है तो चलो ये बात मान भी ली जाए कि अनबैलेट छात्र हैं लेकिन मानवता कहती है कि अगर किसी दिन दो चार बच्चे आ गए होंगे तो दो चार केले मे बड़ा भ्रष्टाचार तो नही हो जाएगा , खैर यह नियम संगत की बात मे तो ठीक है लेकिन प्रसंग मानवता का है और गांव के भविष्य का है।
जिस प्रकार से अनबैलेट बच्चों को केला नही दिया जाना चाहिए उस प्रकार से प्रेम बाबू यादव को विद्यालय मे अनबैलेट नींद नही लेनी चाहिए आखिर नींद लें तो बैलेट ही लें अनबैलेट नींद क्यों लें ? जिस प्रकार से प्रेम बाबू यादव बैलेट और अनबैलेट शब्द का प्रयोग करते हैं उससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ये नेता हैं जो गांव की राजनीति मे जबर हस्तक्षेप करते हैं तो स्कूल मे भी वही राजनीति करते हैं और खुद कुंभकर्ण मंत्र पढ़कर कुंभकर्णी नींद लेते हैं।
अब सवाल खड़ा होता है कि विद्यालय मे जो प्रिंसिपल हैं उनको शिक्षा मित्र साहब की अनबैलेट नींद क्यों नजर नही आती ? जब प्रेम बाबू सोते हैं तो क्या वो हस्तक्षेप नही कर सकतीं ? जबकि प्रधानाध्यापक का काम ही है कि विद्यालय मे उत्तम माहौल रहे और शिक्षण कार्य सुचारू रूप से चले। इसलिए ऐसी किसी भी तस्वीर के वायरल होने का मतलब है कि वे विद्यालय मे अनुशासन और सामान्य लोक व्यवहार की व्यवस्था को बनाए रखने मे असफल हैं। इसलिए प्रश्न चिन्ह प्रधानाध्यापक प्रमिला सोनी के ऊपर लगते हैं !
योगी सरकार मे एक ओर विद्यालयों का कायाकल्प किया जा रहा है तो वहीं ब्लाक रामनगर के लोहगड़ी प्राथमिक विद्यालय की हालत खस्ताहाल बतायी जाती है जैसे यहाँ का बजट के वारे न्यारे नींद मे ही हो गए हों। इधर इस विद्यालय से तनाव के माहौल की सूचनाएं आ रही हैं तो वहीं शिक्षा मित्र साहब की सोती हुई तस्वीर शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों को ऊंची छलांग लगाने पर मजबूर कर देगी।
समाज को चिंतन करना होगा कि जागना सोने से ज्यादा जरूरी है और सोना है तो बेड रूम मे सो लीजिए आखिर स्कूल मे सो कर शिक्षा व्यवस्था पर धब्बा क्यों बन रहे हैं ? समाज अगर जाग जाए और ऐसे शिक्षा मित्र और शिक्षकों पर सीधी उंगली तान दे कि ये नही चलेगा तो यकीनन शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों के कान तक आवाज सुनाई देगी और स्कूल का माहौल का कायाकल्प होने लगेगा जिससे बच्चों को मिड डे मील मे दूध पीने को मिलेगा और तो और शिक्षा मित्र जागकर पढ़ाने को मजबूर हो जाएंगे।
कुल मिलाकर लोगों को उम्मीदें वर्तमान जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन से हैं कि उनकी नजर मे सोती हुई तस्वीरें आएंगी और स्कूल का खराब माहौल पता लग जाएगा तो किसान के खेत मे धान काटने की तरह वो कुछ खास पहल कर रामनगर ब्लाक के लोहगड़ी प्राथमिक विद्यालय का हल निकाल ही देंगे।
खबरदार सिर्फ इतना रहना है कि गांव के लोग स्कूल के माहौल और शिक्षण कार्य के लिए खबरदार हो जाएं और जागरूक होकर एक होकर सभी अभिभावक स्कूल के अंदर नजर रखें जिससे गांव के गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों का भविष्य जमीं से चांद तक का सफर तय करेगा अन्यथा ढाक के तीन पात की कहावत सिद्ध होगी ना विकसित भारत होगा ना विकसित गांव होगा और ना विकसित मानसिकता के शिक्षित बच्चे होंगे अगर प्रेम बाबू प्रेम यूं ही सोते रह गए तो बिल्डिंग के कायाकल्प भर से क्या होगा ? चिंतन मनन करे समाज और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर !
” एजुकेशन के मामले मे गंभीर रहने की जरूरत है ; नींद आना आम बात है लेकिन महत्वपूर्ण है जागना। “
Writer & Journalist saurabh dwivedi