सत्ता के लिए नही सेवा के लिए चुनाव लड़ा जाता है ऐसा कहने वाले भाजपा नेता रामदयाल त्रिपाठी की पाॅलिटिकल बायोग्राफी

आप नेता बनने से पूर्व प्रख्यात तांत्रिक चंद्रा स्वामी के करीबी रहे या ऐसा कहा जाए कि साथ मे चलते रहे। इनकी वजह से भारत के तमाम बड़े नेता और एकाध प्रधानमंत्री के घर आना जाना रहा। इस तरह इन्होंने कम उम्र मे ही वैभव वाला जीवन पहले ही देख लिया था। संत समाज के साथ जो जीवन व्यतीत किया उससे इनका मन और मस्तिष्क उदार रहने लगा तब से अब तक उदार मन वाले व्यक्तित्व के रूप मे जाने जाते हैं।

■ भाजपा मे पंचायत प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक एवं प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रह चुके रामदयाल त्रिपाठी संस्कृत से परास्नातक हैं और बांदा लोकसभा मे चित्रकूट जनपद के निवासी हैं , समाजसेवा कर जनसेवा करने वाले श्री त्रिपाठी ने विद्यालय चलाकर शिक्षा की अलख भी जगाई है तो राजनीतिक जीवन मे रेलगाड़ी वाले नेता के रूप मे प्रसिद्धि भी अर्जित की है तो पढ़िए जीवन परिचय………

चुनाव , सत्ता और सेवा ये राजनीति के मुख्य अंग हैं। कोई भी व्यक्ति अगर राजनीतिक दल मे है तो उसका मुख्य ध्येय क्या होना चाहिए ? सवाल जनता से है और जवाब भी जनता को देना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र की असली शासक जनता होती है लेकिन सत्ता के ऐसे रूप सामने आते हैं कि सरकार बनने के बाद और व्यक्ति के चुनाव जीतने के बाद अक्सर जनता खुद को दोयम दर्जे मे महसूस करने लगती है पर आखिर कब तक ऐसा होगा ?

इसलिए जनता को पैनी नजर रखनी चाहिए कि ऐसा कौन है जो चुनाव के पहले भी और चुनाव के बाद भी सेवक की तरह काम करे तो एक ऐसे ही नेता रामदयाल त्रिपाठी हैं जो कह रहे हैं कि चुनाव सत्ता के लिए नही सेवा के लिए लड़ा जाता है।

■ बात मे सत्यता कितनी है : क्योंकि सन 2014 से टिकट मांग रहे भाजपा नेता रामदयाल त्रिपाठी का राजनीतिक व्यक्तित्व सामाजिक सेवा वाले सफर से जुड़ा हुआ है। जिनके नाम मे दयाल शब्द है और उससे पहले राम है अर्थात जो राम जैसा हो और दयालू हो अर्थात उदार व्यक्तित्व का हो तो हमारी टीम ने जब इनके व्यक्तित्व की परख करना चाहा तो लोगों का साफ कहना रहा कि समर्पण और विश्वास का दूसरा नाम कहा जा सकता है जिसकी सबसे बड़ी वजह लोगों ने कही कि जिस समय बांदा लोकसभा मे भाजपा के झंडे लोगों के घर मे नही लगा करते थे उस समय इन्होंने राष्ट्रवाद की विचारधारा पर काम किया और लोगों को भाजपा की विचारधारा से जोड़ने के लिए घर-घर पहुंचते रहे।

■ संघ की विचारधारा : भाजपा नेता रामदयाल त्रिपाठी भाजपा के मातृ संगठन कहे जाने वाले आरएसएस की विचारधारा को आत्मसात कर जन सेवा करने वाले नेता के रूप मे जाने जाते हैं , जिन्होंने हमेशा संघ और उसकी विचारधारा के अनुसार लोगों की सेवा की और मातृ संगठन के प्रति समर्पण ऐसा रहा कि हर आह्वान पर राष्ट्र सेवा के लिए विनम्र भाव से सड़क से लेकर हर आयोजन तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

एक कार्यक्रम मे जनता के बीच

■ कभी निराश नही हुए : बेशक किन्ही कारणों से कमल चुनाव चिन्ह से पार्टी की ओर से चुनाव नही लड़ सके लेकिन निराश होकर किसी और दल का दामन कभी नही थामा और उसी भाव से दलगत विचारधारा के लिए काम करते रहे। दल ने जब जैसा आदेश दिया गांव – गांव तक हर कार्यक्रम को सफल बनाते रहे इस बदौलत जन प्रिय होने लगे। सरल सहज भाव से आम जन से मिलने जुलने से सबके हृदय मे जगह बनाए रखने मे सफल हुए।

■ चुनाव लड़ने का उद्देश्य : सोशल मीडिया एवं लोगों से चर्चा के दौरान भाजपा नेता रामदयाल त्रिपाठी कहते हैं कि चुनाव सत्ता के लिए नही लड़ा जाता बल्कि सेवा के लिए लड़ा जाता है और राम राज्य का भाव है सेवा कार्य करना जिससे जनता दुखी नही रहे और जब जनता सुखी रहेगी तब राम राज्य साकार होगा। क्षेत्रीय नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वह जनता के दुख दर्द को कम करें व नष्ट करें।

वे कहते हैं कि मैं इसी उद्देश्य से राजनीति मे हूं और भाजपा मेरा पसंदीदा दल है क्योंकि यह धर्म , संस्कृति और सेवा भाव को एक साथ लेकर जन जन का उत्थान करने के लिए प्रयासरत है।

■ रेलगाड़ी वाले नेता जी : हर नेता किसी ना किसी कार्य की वजह से प्रसिद्ध होता है तो इनका एक किस्सा है कि सन 2014 मे लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की झांसी रैली मे एक ट्रेन बुक की थी तब से लोग इनको रेलगाड़ी वाले नेता जी के नाम से भी पुकारते हैं। बांदा लोकसभा मे रेलगाड़ी बुक करके जनता को रैली मे ले जाने वाले ये पहले नेता हैं और इस तरह का ऐतिहसिक बड़ा काम करने वाले अंतिम नेता भी कहे जा सकते हैं जो कहते हैं कि ” सर्वे भवन्तु सुखिनः ” वाला भारत देश का ध्येय वाक्य मैंने अपने जीवन मे अपना लिया है। और ईश्वरीय शक्ति की कृपा से राम जी जैसी समाजसेवा करने का प्रयास करूंगा हालांकि साधारण मानव हूं फिर भी कार्य महान करूंगा। 

बचपन से युवा अवस्था तक चंद्रा स्वामी के रहे करीबी : आप नेता बनने से पूर्व प्रख्यात तांत्रिक चंद्रा स्वामी के करीबी रहे या ऐसा कहा जाए कि साथ मे चलते रहे। इनकी वजह से भारत के तमाम बड़े नेता और एकाध प्रधानमंत्री के घर आना जाना रहा। इस तरह इन्होंने कम उम्र मे ही वैभव वाला जीवन पहले ही देख लिया था। संत समाज के साथ जो जीवन व्यतीत किया उससे इनका मन और मस्तिष्क उदार रहने लगा तब से अब तक उदार मन वाले व्यक्तित्व के रूप मे जाने जाते हैं।

” राष्ट्र और समाज के प्रति सेवा और समर्पण का एक उदाहरण बुन्देलखण्ड के बांदा लोकसभा मे चित्रकूट जनपद के भाजपा नेता व वरिष्ठ समाजसेवी रामदयाल त्रिपाठी का है। “

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