रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने का मुद्दा उठाने वाले नितिन उपाध्याय की सोशल पॉलिटिकल बायोग्राफी

” नितिन उपाध्याय राष्ट्रीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने का अभियान लेकर भ्रमण कर रहे हैं आप जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। “

एक घटना और एक बड़ा कारण व्यक्ति को व्यक्तित्व बनाने की वजह बनता है। सामान्य व्यक्ति को महान व्यक्ति का दर्जा ऐसे ही मिला करता है। संत तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखकर जन जन के मन मे राम के चरित्र को बसा दिया लेकिन भारत जैसे देश का अपना कोई राष्ट्रीय ग्रंथ नही है। यहां राष्ट्रीय फूल , राष्ट्रीय पशु और पक्षी के नाम का निर्धारण तो हुआ लेकिन जिससे जीवन सीखा जा सके जिससे मनुष्य संस्कार अपना सके उसके लिए हर हृदय मे बसे राम की रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ नही बनाया जा सका , बड़ा कारण था कि आजादी के बाद ये देश धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के रूप मे अपनी पहचान बना रहा था तो सनातन की पहचान खो रही थी , इस पहचान के लिए नितिन उपाध्याय ने काम करना शुरू किया तो जानिए इनके विषय मे और इनके विचार

■ पति – पत्नी ने साथ शुरू किया अभियान

राम सीता और लक्ष्मण की त्रिमूर्ति रामायण की सबसे चर्चित और अनुकरणीय त्रिमूर्ति है तो इस अभियान मे इनके भाई लक्षण की तरह साथ नजर आते हैं लेकिन बड़ी बात है कि पत्नी अर्चना उपाध्याय का साथ हर पल मिला जो शक्ति स्वरूपा बनकर अभियान मे अनवरत कार्य कर रही हैं। नारी शक्ति को इस अभियान के लिए जागृत कर बड़ी संख्या मे चित्रकूट धाम से तुलसी जन्म स्थली राजापुर तक शोभा यात्रा निकालने मे सबसे बड़ा सहयोग रहा तो वहीं नारी शक्ति की सबसे ज्यादा भागेदारी रही।

अर्चना उपाध्याय इस अभियान की राष्ट्रीय प्रभारी हैं जो लगातार देश भर मे जन जागरण अभियान चला रही हैं। आप मुखर वक्ता हो जिनकी वाणी सुनकर जनता भावों से रोमांचित हो उठती है और अपने उद्बोधन के बदौलत अभियान को तेज रफ्तार प्रदान करती हैं। आम बोलचाल की भाषा मे भी बात करते हुए खास आकर्षण रहता है जो सभी को रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए प्रेरित कर पाने सक्षम हैं।

इस अभियान का सबसे खास पहलू यही है कि धार्मिक अस्मिता और राष्ट्रीय पहचान के लिए पति पत्नी एक साथ एक मंच पर आकर बेधड़क बोलते हैं। जिससे पति पत्नी जीवन कैसे जिएं इसका भी साक्षात उदाहरण उभरकर सामने आता हैं।

■ हिन्दू राष्ट्र बनाने का अभियान : यूं तो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का अभियान गुलामी काल से हिन्दू महासभा जैसे संगठन लगातार चला रहे थे लेकिन नितिन उपाध्याय कहते हैं कि इक्कीसवी सदी मे मैंने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात की तो बागेश्वर धाम सरकार ने आह्वान कर दिया जिससे बेहद कम समय मे यह अभियान हर हिन्दू की वाणी मे आ गया।

नितिन उपाध्याय रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग एक साथ करते हैं। भारत का राम मंदिर बन रहा है तो संभावना इस बात की भी है कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ शीघ्र ही बना दिया जाए लेकिन इसके अपने संवैधानिक पहलू हैं जैसे धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की जगह भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित हो तब जाकर यह संभव हो सकता है तो इस अभियान से सनातन हिन्दू धर्म व संस्कृति मे जागरूकता आ रही है।

■ एक जागरूक समाज का निर्माण करना : रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के पीछे का उद्देश्य यह भी है कि हर किसी से मानस की चर्चा हो और जीवन मे मानस की चौपाइयां लागू करें , भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र शासक और प्रशासक मे वास्तविक रूप से हो जिससे आम जनता महसूस करे कि हम एक बार फिर राम राज्य मे ही निवास कर रहे हैं।

लोगों के जीवन मे दुख बहुत भर चुका है। असल मे लोग बहुत परेशान हैं और ऐसे मे धर्म ही सहारा है क्योंकि लोग धर्म से विमुख हो चुके हैं और विमुख किया गया है लेकिन जब एक ग्रंथ राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा तो देश का प्राण धर्म है और इस प्राण की शक्ति से लोग अच्छा जीवन जिएंगे। इसलिए रामचरितमानस की चर्चा से जन जागरण भी हो रहा है तो यह अभियान भारत देश को वास्तविक चिंतन की ओर ले जाता दिख रहा है।

■ संत समाज के दर्शन :

नितिन उपाध्याय देश भर मे भ्रमण करने के साथ धर्म नगरी चित्रकूट हो या अयोध्या और बनारस व मथुरा-वृंदावन हर स्थान पर तपस्वी संत के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ मे संगिनी अर्चना उपाध्याय भी संत समाज को प्रणाम करती हैं जैसे कलयुग मे इतिहास पुनः दोहरा रहा है ऐसे ही श्रीराम चंद्र जी पत्नी सहित वनवासी भेष मे संत समाज के दर्शन कर रहे थे।

दर्शन कर संत समाज का संदेश सभी को देने की कोशिश करते हैं। वास्तव मे देश के शासन प्रशासन मे संत समाज के विचार घुल जाएं तो आधे से ज्यादा समस्याओं का अंत हो जाए। चूंकि पहले राजाओं के दरबार मे संत समाज मार्गदर्शन देने का कार्य करते थे। जो धीरे धीरे भारतीय लोकतंत्र मे गायब हो चुका था। जबकि श्रीकृष्ण श्रीमद्भागवत गीता मे कहते हैं कि राष्ट्र के नेतृत्व की बागडोर सात्विक विचारधारा के व्यक्तित्व मे होनी चाहिए।

” नितिन उपाध्याय राष्ट्रीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने का अभियान लेकर भ्रमण कर रहे हैं आप जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। “