वायरस और पानी की जंग से जूझता एक गाँव..

@Saurabh Dwivedi

नोनार / पहाड़ी : जनपद चित्रकूट के ब्लाक मुख्यालय पहाड़ी का एक गाँव इन दिनों पानी की समस्या का सामना कर रहा है। पेयजल की दिक्कत ना हो इसके लिए जल टंकी बनी हुई है परंतु इसको भी ढाई महीने नजर लग गई है , कोई अधिकारी इस नजर को उतारने मे नजरबंटा का काम नहीं कर रहा है। समस्या गांवदारी की भी है ऊपर से पंचायत चुनाव हुए लेकिन शपथ संपन्न नहीं हुई।

गाँव के विकास हेतु चिंतित युवा और कुछ बुजुर्गों ने फैसला किया कि गाँव पर चर्चा के माध्यम से ” ग्राम विकास संघर्ष समिति ” का निर्माण किया जाए जो गाँव पानी जैसी समस्या व भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर लगातार काम करेगी। इसी समिति के सदस्य कुर्मियान से ननकवा खूब सक्रिय रहने लगे हैं। उन्होनें जानकारी दी कि मतदान के दो दिन पूर्व जल टंकी सप्लाई ठप्प पड़ गई थी। उसके बाद एक महीने से ज्यादा समय बीत गया लेकिन सप्लाई शुरू करने की सुध लेने कोई नजर नहीं आ रहा है।

लोकल फार वोकल

गाँव वालों ने एक अजूबा बताया कि चुनाव के समय पंचायत मित्र द्वारा अनेक हैंडपंप ठीक कराए गए। जबकि पंचायत मित्र उस समय खूब अच्छा काम करते दिख रहे थे। किन्तु वजह क्या है कि जल की इतनी बड़ी समस्या को हल करने के लिए चुनाव बाद उनकी भी पहल खास नजर नहीं आ रही जो एक समय कहीं ना कहीं हैंडपंप खुलवाए नजर आते थे। जबकि प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार पंचायत मित्र की पहल से जल टंकी की सप्लाई शुरू होने की प्रबल संभावना है।

यह टंकी ग्राम पंचायत को हैंडओवर हो चुकी है। उसके बाद से नियमित संचालन ग्राम पंचायत करने लगी। किन्तु गाँव के ही व्यापारी ने बताया कि कभी साफ – सफाई होते हुए देखा नहीं , इसमे कभी ब्लीच पड़ी भी है या नहीं। अर्थात साफ है कि वायरस की जंग आखिर कमजोर क्यों ना पड़े ? जब स्वच्छ पानी नहीं तो स्वस्थ तन – मन कैसे होगा ? इतनी सी संवेदनशीलता किसी भी जिम्मेदार होती तो वास्तव मे गाँव को शुद्ध जल नसीब होता।

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संघर्ष समिति के सदस्य अशोक सुपरी से चर्चा मे यह तथ्य सामने आया कि महज दो सौ – ढाई सौ ₹ का खर्च है। सप्लाई शुरू करने वाली चाभी मे कुछ टूट गया है। जिसे आज तक कोई बनवा ना सका और परिणाम यह मिल रहा है कि गाँव के लोगों को बूंद भर पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने जोर दिया कि गाँव मे विकास और समस्या के लिए ग्राम विकास संघर्ष समिति जैसा विचार सार्थक सिद्ध होगा। जिससे युवाओं की एक टोली अफसरों के पास पहुंचेगी और मीडिया तक भी बात पहुंचने से शीघ्र निस्तारण होगा।

पांडे मुहल्ला के पास रडौलिहा परिवार रहता है जो इन दिनों ट्रैक्टर से पानी लाने को मजबूर हैं। घर से कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। इस तरह से एक गाँव इतनी बुरी दशा मे  है किन्तु योगी सरकार के पास सूचनाएं एकदम चकाचक होती हैं। सरकार को इन्हीं हकीकत से सामना कराने के लिए ग्रामीण रिपोर्टिंग सबसे आवश्यक काम लगता है।

गरीब बस्ती से लेकर अमीरों की बस्ती तक पानी की हाहाकार

संभव है कि अब शासन – प्रशासन का ध्यान आकृष्ट हो सकेगा। पानी की समस्या ना सिर्फ दूर होगी अपितु जल टंकी की सफाई भी होनी चाहिए। हम प्राथमिक व्यवस्था ही सही कर ले जाएं तो मानिए हमने एक बड़ी जंग जीत ली। संघर्ष समिति के सदस्य आशुतोष पांडेय का कहना है कि युवाओं की यह समिति का विस्तार होगा और हर समस्या के लिए एक स्वर मे आवाज देगी।