अद्भुत वृतांत है चित्रकूट के बांके बिहारी मंदिर का.
By – Saurabh Dwivedi
श्रीकृष्ण अद्भुत अवतार हैं। उनके नाम मात्र से शरीर में कंपन और हृदय में समृद्धि का अहसास होने लगता है। आंखो में करूणा का भाव और होठों पर मुस्कान आ जाए तो समझ लीजिए कि ईश्वरीय अवतार का अंश भर हृदय को स्पर्श हो गया। इस भौतिक युग में रोम के आकार मात्र में ईश्वरीय – अंश का वास समस्त दुखों का निवारण है।
धर्म नगरी चित्रकूट ऐतिहासिक व अद्भुत है। भगवान कामदनाथ के परिक्रमा क्षेत्र पर वैसे तो अनेकानेक ईश्वरीय शक्ति का वास है , पर कामदगिरि के मुख्य द्वार के समीप स्थित बांके बिहारी मंदिर में मथुरा – वृंदावन जैसा सुख महसूस हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानों स्वयं श्रीकृष्ण वृंदावन धाम से यहाँ विराजमान हो जाते हैं। अद्भुत सा सुख महसूस होना ही कृष्ण की उपस्थिति का सार है। कृष्ण नाम ही सुख है।
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर चौबीस घंटे से पहले ही यहाँ के संत ” कृष्ण भक्त ” तैयारी शुरू कर देते हैं। एक अद्भुत सी बात तब घटित हुई , जब स्वयं मैंने संत जी का नाम पूंछा तो उनका जवाब यही था कि मेरा आधार कार्ड भी नहीं बना और नाम क्या बताऊं ? मैं तो कृष्ण भक्त हूँ। जो कुछ भी हैं , बिहारी जी हैं ! हाँ यह रमणीय स्थल बांके बिहारी का मंदिर है।
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण है कि मंदिर के अंदर ब्रह्मांड से ऊर्जा महसूस होती है। चूंकि मंदिर का ऊपरी तल का त्रिकोणीय भाग ब्राह्मण की शक्ति को स्वयं समाहित करता है। और साथ ही ईश्वरीय शक्ति का अंश हमें इंसान बना देता है।
जन्माष्टमी के पर्व पर भक्तों की खूब आवाजाही लगी रहती है। यह देखने योग्य होता है , जब एक एक भक्त बड़े प्रेम से इनकी ओर निहारता रहता है और मुस्कुराता रहता है। मानों उसे सुख का खजाना मिल गया। यह प्रेम के प्रतीक कृष्ण का प्रभाव है कि हम दुख दर्द भूल जाते हैं। जीवन का हर दर्द ” छू ” हो जाता है। ईश्वरीय शक्ति को महसूस करना है तो भगवान से ज्यादा भक्तों के चेहरे को निहार लो ! आनंद ही आनंद महसूस होगा।
अपना शरीर कृष्ण के प्रेम में लीन महसूस करने लगता है। बाहर बजती मधुर धुन अंदर बजने लगती है। यही अंतर्मन है और अंतर्मन में ही भगवान हैं। जब भक्त की भक्ति को महसूस करने लगें और खुशी को देख अद्भुतता महसूस कर लें तो कृष्ण कृपा हो जाती है। मंदिर परिसर के अंदर हर शख्स अद्भुत मुस्कान से भरा हुआ महसूस होता है। भक्त के सिर्फ होंठ नहीं बल्कि आंखे भी मुस्कुराती हुई महसूस होती हैं।
यह कृष्ण की आभा का चमत्कार है। समझने योग्य है कि भौतिक दुनिया में कृष्ण की आभा मात्र से पल – पल , रग – रग सुखमय हो जाता है। जो आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश कर जाए , अंदुरूनी आध्यात्मिक यात्रा को तय कर ले तो यकीनन आत्मज्ञान प्राप्त कर लेगा। यहीं है कृष्ण का अद्भुत संसार। धर्म नगरी चित्रकूट में बांके बिहारी मंदिर की अद्भुतता का यही वृतांत है।