अटल जी की वाणी मे खास तरह का वशीकरण था , लोग सुनकर मुग्ध हो जाते थे।

अटल जी वाणी मे एक खास तरह का वशीकरण था। लोग सुनकर मुग्ध हो जाते थे। उनकी वाणी के सम्मोहन मे क्या पक्ष क्या विपक्ष हर कोई आ जाता था। उनके कथन और कविताएं सभी को प्रिय और प्रेरणात्मक हो जाते थे। संस्कारमय संसद शालीन भाषा और ओजस्वी वक्तव्य से दुनिया मे गुंजायमान होती रही।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की 98 वीं जयंती है। इस अवसर पर देश भर के नेता सदैव अटल स्थल पर पहुँच कर नमन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विट कर श्रद्धाँजलि अर्पित की व देशवासियों को उनके व्यक्तित्व की याद दिलाई।

जनपद चित्रकूट मे जिलाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश खरे की अध्यक्षता मे रामघाट पर कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है। चूंकि अटल बिहारी वाजपेई नेता होने से पहले साहित्यकार थे और एक कवि के रूप मे बड़ी पहचान थी।

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इस मौके पर महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष चित्रकूट दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि जब से होश संभाला भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की छवि हमारे मन मे बस गई। एक ऐसे नेता रहे जो सबके हृदय मे लोकप्रिय हैं। उन्हें सुनने के लिए हम लोग आतुर रहते थे।

संसद भवन मे उनकी कविताओं की गूंज से आम आदमी का हृदय गुंजित हो जाता और चेहरे पर ओज झलकने लगता था। उनका यह वाक्य कि ” लोग आएंगे , लोग जाएंगे पर यह देश रहना चाहिए “। सबके लिए सबसे बड़ा आदर्श वाक्य बन गया। इस ध्येय के साथ देश प्रेमी नेता राजनीति करते हैं।

उनके मन मे महिलाओं के लिए हमेशा बड़ा स्थान रहा। नारी सशक्तिकरण के लिए उनके प्रयास सदैव स्मरणीय रहेंगे। सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की कला और गठबंधन की सरकार चलाने की कला आप से ही सीखते हैं लोग।

दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि अटल जी वाणी मे एक खास तरह का वशीकरण था। लोग सुनकर मुग्ध हो जाते थे। उनकी वाणी के सम्मोहन मे क्या पक्ष क्या विपक्ष हर कोई आ जाता था। उनके कथन और कविताएं सभी को प्रिय और प्रेरणात्मक हो जाते थे। संस्कारमय संसद शालीन भाषा और ओजस्वी वक्तव्य से दुनिया मे गुंजायमान होती रही।