कामतानाथ मंदिर मे विवाद सीएम योगी ने किया मत्यगजेंद्र नाथ के दर्शन
संभवतः कामतानाथ मंदिर चित्रकूट मे छिड़े विवाद की वजह से सीएम योगी ने चित्रकूट राजा मत्यगजेंद्र नाथ का दर्शन एवं पूजन किया।
संत वर्चस्व की जंग मे मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव भी प्रदक्षिणा द्वार कामतानाथ के दर्शन नही किए या उनसे कोई चूक हुई थी !
पुष्ट सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी एक संत लगातार कामतानाथ के चार द्वार मे से एक द्वार से प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिये हैं।
यही कारण था कि पिछले एक वर्ष पूर्व उप मुख्यमंत्री का काफिला प्रदक्षिणा द्वार के सामने से गुजारा गया था। और दर्शन करने के लिए प्राचीन द्वार ले जाया गया था।
जानकीकुंड के आसपास एक प्रसिद्ध पीठ से संकेत होने के बाद उप मुख्यमंत्री ने प्राचीन द्वार के ही दर्शन किए थे और सीएम मोहन यादव ने बांके बिहारी मंदिर मे काफी समय व्यतीत किया लेकिन वह प्रदक्षिणा द्वार मे दर्शन किए बगैर ही गुजर गए जिसकी चर्चा लगातार होती रही।
लोग कहते रहे कि अभिमान आम आदमी का हो या संत का चूर चूर जरूर होता है इस विवाद के चलते ही सीएम योगी का यह कदम माना जा रहा है कि उन्होंने इस बार कामतानाथ के दर्शन करने के बजाय सिर्फ और सिर्फ महादेव महाराजाधिराज मत्यगजेंद्र नाथ के दर्शन किए।
कुछ संत सीएम योगी आदित्यनाथ का करीबी दिखाने के लिए लगातार कोशिश करते हैं कि कुछ ऐसा हो जिससे सरकारी महकमे और आम जन मे स्पष्ट संदेश जाए और ऐसे संत मीडिया मे अक्सर छाए रहने का प्रयास करते हैं।
हनक का रोग सिर्फ आम जन का नही है ऐसी हनक संत भी चाहते हैं जो भगवान कामतानाथ के साथ ही भेदभाव पैदा करने का इतिहास रच रहे हैं तो बतौर सीएम योगी आदित्यनाथ चित्रकूट का आध्यात्मिक विकास कैसे होगा ?
भौतिक विकास मे सड़क पानी बिजली और बनते – गिरते पुल दिख जाते हैं किन्तु आध्यात्मिक विकास मानसिक होता है जो हर किसी का होना चाहिए तो आखिर इस आध्यात्मिक विकास के चिंतन के लिए कोई तैयार है ?
है कुछ ऐसा आयोजन जो मानसिक चिंतन से आध्यात्मिक विकास का पुल बन सके फिलहाल अभी तो कामतानाथ ही भेदभाव के शिकार हैं इसकी गंध मची हुई है , स्पष्ट है कि बंटोगे तो कटोगे यही संदेश समझा जा सकता है जो इस बार सीएम ने रामघाट आरती से पहले महाराधिराज मत्यगजेंद्र नाथ के दर्शन किए।
आध्यात्मिक विकास को साकार करने के लिए आम हो या खास सबकी मानसिक चेतना का जागृत होना आवश्यक है। दिव्य चेतना ही आध्यात्मिक विकास की पहली सीढ़ी है। इसलिए सीएम योगी आदित्यनाथ के इस विचार का स्वागत होना चाहिए।