बालीवुड में बुंदेलखण्ड के चंद्रहास एक उम्दा कलाकार.
By :- Saurabh Dwivedi
बुंदेलखण्ड और बालीवुड का रिश्ता जमीन और आसमान की तरह है। बुंदेली भूमि से बालीवुड में कैरियर बनाने की सोच उत्पन्न होना और उसे साकार करने के मध्य अनेकों बाधाएं उत्पन्न होती हैं। सबसे बड़ी बाधा सामाजिक – पारिवारिक सोच है। एक युवा कहे कि मुझे बालीवुड में कैरियर बनाना है , एक्टर बनकर काम करना है तो शायद ही संभव हो कि परिजन सहज स्वीकृति प्रदान कर दें। जिंदगी का सबसे बड़ा सच है कि व्यक्तिगत प्रतिभा व अभिरूचि को पहचान कर कैरियर लाइफ का निर्णय स्वयं करना चाहिए। उस पर भी यदि परिवार की सहमति मिलती है तो सोने पर सुहागा की कहावत चरितार्थ हो सकती है। किन्तु प्रत्येक परिस्थिति में व्यक्तिगत निर्णय से जीवन धारा पर चला जा सकता है। चंद्रहास पाण्डेय एक ऐसे ही युवा हैं , जिनसे मेरी पहली मुलाकात सोशल मीडिया जैसी आभासी दुनिया से हुई थी। चंद्रहास नाम आते ही चंद्रहास नाटक स्मरण में ताजा हो जाता है। सर्वप्रथम कहना जायज है कि स्वयं चंद्रहास केजरीवाल से बहुत प्रभावित थे और राजनीति मे कुछ करना चाहते थे।
इनके अंदर की ऊर्जा से परिचय मिलते ही विश्वास हो रहा था कि बंदा ये बिंदास है और जीवन में कुछ बड़ा काम अवश्य करेगा। समाज के प्रति अच्छी सोच और जवाबदेही की प्रकृति से अंदाजा लगाया जा सकता था कि जनहित के लिए कुछ अवश्य करेगा। यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल था कि बालीवुड में सांवले रंग का शहरी कम गांवटी बंदा एक्टर की भूमिका निभाएगा !
किन्तु बड़ा सच है कि हम स्वयं अपनी प्रतिभा को पहचान सकते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि चंद्रहास ने अपनी प्रतिभा को महसूस किया। साथ ही समय रहते वर्तमान व्यवसायिक संक्रमित राजनीति की बुरी दुनिया को भी पहचान लिया। दो पहचान मे से एक पहचान को चुन लेना दुविधा से निकल जाना होता है।
जब हम दुविधा से पार पा जाते हैं तब जीवन का निखरना शुरू हो जाता है। बुंदेलखण्ड के चित्रकूट जनपद से महाराष्ट्र के मुंबई पहुंचकर जाने कितने संघर्ष इस युवा ने किया होगा। परंतु बेहद सुख मिलता है जब लोगों को जागरूक करती हुई शार्ट मूवी में एक्टिंग करते हुए चंद्रहास को देखता हूँ।
एकबारगी विश्वास नहीं होता कि क्या ये वही चंद्रहास है ? परंतु विश्वास हो जाता है कि हाँ चंद्रहास वही है लेकिन एक्टिंग की दुनिया में मंझ चुका है। थोड़े से मेकअप अधिक सुंदर हो जाता है। पटकथा के अनुसार स्वयं को झटका देता है ताकि इस झटके से लोग सीख सकें कि देखो जब झटका लगता है तब इस तरह होता है। अतः तैयार रहो कि तुम्हे झटका ना लगे !
हाँ एक ऐसी ही मूवी देखी जिसमें चंद्रहास को एक लड़की काम दिलाने और अधिक पैसा कमाने का वास्ता देकर आटो में ले जाती है। परंतु वहाँ वो उसे उत्तेजना के भवसागर में ले डूबती है। युवा मन का एक्टर भी जोश में आकर लड़की के जिस्म से खेलने लगता है। वो सबकुछ घटित होता है जो एक लड़का और लड़की संभोग के दौरान कर गुजरते हैं !
जिस्मानी भूख से संतुष्ट होकर एक्टर चंद्रहास वापस आकर पुनः सड़क किनारे धंधा करने लगता है। एक दिन उसके पास एक कूरियर आता है। उसे वह कूरियर उस लड़की ने भेजा था। वह पटकथा के अनुसार खुश होने का नाटक करता है। किन्तु चिट्ठी पढ़ते ही बड़ा झटकेदार अफसोस जताता है कि ऊफ मैं मर गया , चूंकि उसे एचआईवी हो चुका होता है।
मूवी संदेश देती है कि कभी भी इस प्रकार से किसी भी लेडी के साथ संभोग करने की गलती ना करें। बेशक गांव से निकले लोग महानगर की दुनिया में इस प्रकार से एचआईवी ग्रस्त हो चुके हैं। चंद्रहास की एक्टिंग देखकर मन में हर्ष व्याप्त हो जाता है।
अच्छा लगता है कि बुंदेलखण्ड का कोई युवा मुंबई में कैरियर बनाने की सोच रखता है। हर संघर्ष का सामना कर एक्टिंग किंग बनने को स्वयं को तैयार कर रहा है। युवाओं को चंद्रहास जैसे युवा व्यक्तित्व से सीख लेने की आवश्यकता है कि बेरोजगारी के काल को मात दी जा सकती है , यदि मन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति है।
सच है कि संसार के रंगमंच में परमात्मा के भेजे कलाकार हैं हम ! किन्तु इंसानों की कलाकार दुनिया में जगह बनाना बड़ी कामयाबी की बात है और चंद्रहास बालीवुड की दुनिया में प्रथम सफलता की ओर साफ नजर आ रहे हैं। इनके माता-पिता को भी बेहद खुशी होनी चाहिए कि उनके बेटे ने जीवन में संघर्ष को चुना और चुनौती स्वीकार कर एक्टिंग की दुनिया कैरियर बना रहा है। मुझे भरोसा है कि चंद्रहास एक उम्दा कलाकार होगें। चूंकि उनकी कला का प्रदर्शन मैंने महसूस किया है।