चित्रकूट के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होन चाहिए कि हम नाना जी और तपस्वी राम के बनाए कर्तव्य पथ पर चलें।
चित्रकूट को एक नई पहचान देने वाले राष्ट्र ऋषि नाना जी देशमुख की 13 वीं पुण्यतिथि पर नमन करते हुए उनके विचार पर गहन विमर्श हुआ। ऐसे नाना जी जो कहते थे कि मुझे राजा राम से ज्यादा प्रिय तपस्वी राम लगते हैं। उनके इस कथन से चित्रकूट सिर्फ भारत ही नही बल्कि विश्व भर मे सबसे बड़ी ख्याति प्राप्त करता है और चित्रकूट के नागरिकों को गर्व होना चाहिए कि हमारा जन्म चित्रकूट मे हुआ है।
गरीब , शोषित और वंचितों का उत्थान कार्य तपस्वी श्रीराम ने चित्रकूट से किया। तो सोचिए हमारा चित्रकूट भारत की आत्मा है और भारतीय संविधान का सबसे बड़ा भावनात्मक पहलू है , इन्ही बिन्दुओं पर मेरी बात होती रही और महिलाओं के उत्थान पर भी विमर्श हुआ चूंकि नाना जी देशमुख ने विवाद मुक्त गाँव की परिकल्पना को साकार करने का संकल्प लिया था जिसे ग्रामोत्थान के माध्यम से करना शुरू किया गया। और विवाद मुक्त गाँव मे घर के अंदर और बाहर सामाजिक रूप से नारी सशक्तिकरण का भाव साकार होना तय हुआ।
नाना जी सन 1989 मे चित्रकूट आए और यहाँ की दुर्दशा देखकर उन्होंने तय किया था कि तपस्वी राम के कार्यों के आधार पर चित्रकूट का निर्माण और विकास होना चाहिए। मंदाकिनी तट पर जो संकल्प नाना जी ने लिया था उसे साकार करने के लिए दीन दयाल शोध संस्थान के माध्यम से काम शुरू किया गया , शुरूआत मे ही दर्जनों आत्मनिर्भर गाँव बनाए गए। अगर यह कार्य उसी गति से चल पाता तो वास्तव मे अब तक चित्रकूट ग्रामोत्थान के माध्यम से सबसे बड़ी पहचान बनकर भी उभरता।
जैसे कि वर्तमान मे केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी जी का एक लक्ष्य है आत्मनिर्भर भारत वैसे ही नाना जी देशमुख ने आत्मनिर्भर गाँव की नींव रखी थी। जिसमे कुटीर उद्योग आदि घरेलू कार्यों के माध्यम से आर्थिक सबलता के द्वारा आत्मनिर्भर गाँव बनाना तय हुआ और इससे ही भारत आत्मनिर्भर भारत होगा जो अब तेज गति से किया जा सकेगा।
जैसे कि नाना जी का बड़ा विचार था कि हर हाथ को काम हर खेत को पानी जो कार्य करने की कोशिश अब हो रही है। उस समय भी जो प्रयास किए गए वह सफल और इसी सफलता की बदौलत ग्रामोदय विश्वविद्यालय और दीन दयाल शोध संस्थान चित्रकूट की सबसे बड़ी पहचान हैं।
इस मौके पर शहर के व्यापारी नेता भाजपा के जिला मंत्री रामबाबू गुप्ता भी पहुंचे और नाना जी को नमन कर कुछ संस्मरण याद आए तो वह चर्चा के केन्द्र मे आ गए। रामबाबू गुप्ता भी समाजसेवा निःस्वार्थ भाव से करते हैं और उनका प्रयास है कि नाना जी जैसा सोचते थे वैसा चित्रकूट अवश्य साकार हो समय के साथ जो विसंगतियां आईं वो भी समाप्त हों और हम तपस्वी राम सा जीवन जी कर गरीब उत्थान का कार्य करते रहें। जैसे उन्होंने यहाँ आदिवासी समाज का उत्थान किया था।
इस बीच महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि उनकी पुण्यतिथि पर चित्रकूट के जिम्मेदार नागरिकों से मेरी भी व्यक्तिगत प्रार्थना है कि हमे तपस्वी राम के कार्यों वाला चित्रकूट बनाना होगा उनके विचार और संकल्प को धारण कर गरीबों का उत्थान करना चाहिए और प्राकृतिक रूप से चित्रकूट की पहचान को बनाए रखना होगा , यहाँ कि पहचान हरियाली और निर्मल जल जिससे बनाए रखने के लिए जंगल क्षेत्र मे बढ़ोत्तरी और मंदाकिनी नदी की अविरलता यही राष्ट्र ऋषि नाना जी को वास्तविक रूप से नमन करना होगा।
चित्रकूट के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होना चाहिए कि हम नाना जी और तपस्वी राम के बनाए कर्तव्य पथ पर चलें।