कोरोना से कठिन है पानी की जंग !

@Anuj pandit

गांव पर चर्चा

गांव पर चर्चा के प्रथम चरण में अनुज पंडित मानिकपुर ब्लाक के निही चिरैया के मजरे मे पहुंचे ही थे कि उनकी मुलाकात हकीकत की इस तस्वीर से हो गई। यहाँ गांव और पानी की समस्या का जन्मजात रिश्ता अब तक समाप्त नहीं हो सका , किन्तु भविष्य मे आशाएं हैं कि शासन – प्रशासन संवेदनशील हो और तीव्र गति से इन समस्याओं का अंत हो। पढ़िए अनुज की चर्चा के अनुभव .

जरा सोचिए कि जिस समय  समूचा विश्व अपने समस्त क्रियाकलापों को ठप्प करके कोरोना से लड़ाई लड़ रहा हो , भविष्य की चिंता न करते हुये वर्तमान हालातों को अनुकूल बनाने की जद्दोजहद से जूझ रहा हो ,उस समय भारत के किसी गाँव की ऐसी तस्वीर जीवन के दुःख को दोगुना कर देती है।

भले ही भौतिक संसाधनों की समुचित व्यवस्था न हो पाए ,जरूरत के हिसाब से आर्थिक आय भी सम्भव न हो, किन्तु हर हाल में जीवित रहने हेतु दाना और पानी की समुचित व्यवस्था होना जरूरी है। शरीर में प्राणों का संचार अन्न और जल से ही होता है। यदि इनमें से कोई एक भी न प्राप्त हो तो जिंदा रहना मुश्किल हो जाता है और जब जिंदा रहेंगे ही नहीं तो जीवन से क्या खाक जंग लड़ेंगे?

जिस नये भारत की परिकल्पना को ताक पर रखकर सरकार और प्रशासन बड़ी-बड़ी बातें करते नहीं अघाते, उस नए भारत का एक टुकड़ा गले को तर करने हेतु उसी परम्परा का अनुकरण कर रहा है जो सदियों पहले चरम पर थी!

जी हाँ! बुन्देलखण्ड भू-भाग के अंतर्गत जनपद चित्रकूट में मानिकपुर के बीहड़  में पहाड़ से लगा हुआ एक गाँव है, निही ! निही गाँव का एक छोटा सा पुरवा ‘भाठा’ है , जहाँ पर लगभग पाँच सौ मतदाता रहते हैं।

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गाँव पर चर्चा के दौरान यहीं के एक नागरिक ज्ञानचन्द्र जी से बात हुई। बात – चीत के दौरान उन्होंने बताया कि सड़क और बिजली की स्थिति तो ठीक-ठाक है , किंतु एक बाल्टी पानी के लिए यहाँ के लोगों को 2 किमी. पैदल चलकर जाना होता है। जिस छोटे से कुंएँ से पानी लाया जाता है, उसका जलस्तर भी पर्याप्त नहीं है। पुरवा में एक हैंडपंप है। किंतु लाइन लगाने के चक्कर में सबको पर्याप्त पानी मुनासिब नहीं होता है। इसलिए यदि यहाँ पर सप्लाई या किसी अन्य माध्यम से पानी की समुचित व्यवस्था हो जाए तो लोगों को पानी के लिए जंग न लड़नी पड़े ! 

मऊ – मानिकपुर विधानसभा एक चर्चित विधानसभा है। उपचुनाव मे आनंद शुक्ला के विधायक बनते ही इसकी चर्चा मे गति आई तो वहीं विकास कार्यों और मदद के भाव मे गति नजर आई है फिर भी समस्याएं दो – ढाई साल मे ही समाप्त हो जाएं , ऐसा सोचना बेमानी होगा। हाल ही मे विधायक आनंद शुक्ला द्वारा पानी की समस्या का समाधान एक गांव मे सरमसेबिल पंप लगवाकर किया गया था , जो सराहनीय प्रयास था।

गांव पर चर्चा से गांव की समस्या व समाधान का नक्शा तैयार हो सकेगा और भविष्य मे काम करने मे सहायता मिलेगी। 
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