सेवा सप्ताह जैसे कार्यक्रम से व्यक्तित्व का निर्माण होता है : सांसद
@Saurabh Dwivedi
महामारी के खिलाफ सबको एक भाव से खड़े होने की जरूरत है इसी मे हम सबकी विजय सुनिश्चित है।
यह एक अच्छी परंपरा कही जा सकती है कि भारतीय जनता पार्टी सेवा सप्ताह का आयोजन करती है। यह सिर्फ एक दल विशेष की बात नहीं अपितु व्यक्तित्व निर्माण की बात है। कभी स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि गरीबों की सेवा करना सबसे बड़ी मानवता है और ईश्वर पूजा के समान है , परमात्मा के प्रति सच्ची आस्था यही है।
एक दल विशेष के रूप मे भाजपा का यह कार्यक्रम कार्यकर्ताओं में व्यक्तित्व विकास का बड़ा कार्य कर रही है। सेवा सप्ताह मनाने निकले बांदा सांसद आरके पटेल ने यही कहा कि महामारी के समय मे हम मानवीय संवाद कर रहे हैं। जन – जन से सेवा का संवाद करना और उनका सत्कार करना समाज मे एक नई आधारशिला का रखा जाना है।
उन्होने कहा कि हम ( अर्थात समाज ) अपनी जड़ों को भूल चुके थे। आज मोदी सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गरीबों को फल और सेनेटाइजर आदि सामग्री वितरण करने के साथ वैक्सीन पर चर्चा करना बेहद आवश्यक है। श्री पटेल ने कहा सबसे बड़ा संघर्ष भ्रम के खिलाफ है आजकल की राजनीति भ्रम उत्पन्न कर के साधने की कोशिश की जाती है , विपक्ष मे होने का मतलब यह नहीं कि वह जनता को भ्रमित करें। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों एवं युवाओं से वैक्सीन लगवाने के लिए कहा और पहली वैक्सीन के बाद दो से तीन महीने के अंतराल मे दूसरी वैक्सीन लेने की बात कही। महामारी के खिलाफ सबको एक भाव से खड़े होने की जरूरत है इसी मे हम सबकी विजय सुनिश्चित है।
सांसद बांदा ने जन संवाद के दौरान बच्चों की पढ़ाई पर भी महत्वपूर्ण चिंता जताई। उन्होंने बुजुर्गों से कहा कि हमारी सावधानी से बच्चों को शिक्षा का अवसर शीघ्र मिल सकता है। आपके मास्क लगाने और दो गज की दूरी बनाने से वायरस का वध हो जाएगा और फिर आपके बच्चे पहले की तरह बस्ता लेकर कहेंगे ” आओ स्कूल चलें ” हमें इस समय को भी वापस लाना है।
उन्होंने युवाओं से संवाद के दौरान व्यक्तित्व मे विकास पर चर्चा की और यहीं से बात उभरकर सामने आई कि सेवा सप्ताह जैसे कार्यक्रम से भविष्य मे मनुष्य के मन सेवा करने का दीप जलता रहेगा। जब हम जरूरतमंद के काम आएंगे तब हम ही साक्षात संकटमोचक के रूप मे दिखेंगे और दुख दूर करने वाले ईश्वर का कार्य भी सरल हो जाएगा।
सांसद बांदा भ्रमण के दौरान ग्रामीणों से पूछते हैं ” मुफ्त वाला राशन मिला है कि नहीं “ तो ग्रामीण कहते हैं कि हाँ साहेब मिला है। वे चलते चलते टिटिहिरा के कोटेदार के यहाँ भी पहुंच गए। इस बात की पड़ताल हुई कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन होता है कि नहीं ! वहाँ उन्होंने पांच ग्रामीणों को राशन सामग्री दी।
एक ग्रामीण से उन्होंने पूछा कि ” मुफ्त का राशन को द् यात है ? ” तो ग्रामीण ने कहा कोटेदार द् यात है। इतने मे खूब ठहाके लगे। सांसद बांदा ने कहा कि सही कह रहा है चूंकि सामने तो कोटेदार ही है। फिर उस ग्रामीण ने कहा कि हाँ सरकार दे रही और सरकार मतलब योगी – मोदी की सरकार।
सेवा सप्ताह मे सांसद बांदा के भ्रमण से यह साफ झलक रहा था कि जनता के साथ उनका कितना नजदीकी रिश्ता है। वह जन सामान्य के सामने कितने सहज रहते हैं। वास्तव मे भ्रमण के दौरान मैंने राजनीति की पाठशाला देखी तो वहीं सेवा सप्ताह जैसे कार्यक्रम से व्यक्तित्व के विकास और निर्माण की सुधि मन मे जागृत हुई।