निर्णय : नौकरी त्याग नेतृत्व पथ की ओर.

By :- Saurabh Dwivedi

एक नेतृत्वकर्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि उसे निर्णय लेना है। अनुकूल परिस्थिति में निर्णय लेना सामान्य घटना है , हर कोई ले सकता है। किन्तु नेतृत्व के क्षेत्र में प्रतिकूल परिस्थिति पर निर्णय लेने वाला व्यक्ति ही नेतृत्वकर्ता बनता है।

कुछ माह पूर्व राजनीति की कूटनीति से ऊबकर पाठा परिक्षेत्र के मानिकपुर निवासी रवि द्विवेदी ने नौकरी करने का निर्णय लिया। सरकारी सेवा क्षेत्र से जनहित का कार्य करने का स्वप्न महसूस किया। इस क्षेत्र में जनहित का कार्य करते हुए भी महसूस हुआ कि यहाँ भी जन भावना से सबकुछ करना सरल नहीं है तो फिर उन्हें एक निर्णय लेना पड़ा !

जैसे नदी दो किनारों से स्पर्श होकर बहती हुई सागर मे मिल जाती है। वैसे ही जिंदगी एक नदी है और दो किनारों की तरह दो निर्णय होते हैं उनमें से एक निर्णय लेकर जीवन के महासागर में समा जाना होता है। दोनो निर्णय का महत्व है परंतु किसी एक निर्णय पर भीष्म प्रतिज्ञा लेकर जीवन पथ पर चल पड़ना होता है।

ऐसा ही एक निर्णय हाल ही में रवि द्विवेदी ने लिया और पच्चीस हजार रुपये की नौकरी छोड़कर राजनीतिक क्षेत्र में पुनः पदार्पण करने का मन बनाया। चूंकि उन्हें महसूस हुआ कि जनहित , सामाजिक हित के कार्य के लिए राजनीति से सेवाभाव अपनाकर काम करना सरकारी नौकरी की अपेक्षा उत्तम पथ रहेगा।

यह निर्णय महत्वपूर्ण है। जिस पल निर्णय ले लिया जाता है , उस पल से जीवन अपनी धारा में बहने लगता है। एक युवा जब पूर्ण मनोयोग से योजनाबद्ध तरीके से राजनीति करने उतरेगा और लक्ष्य भेद अर्जुन की तरह करना चाहेगा तो धर्म युद्ध में विजय पाण्डव और धर्म की होती है। चूंकि स्वयं आत्मा के परमात्मा श्रीकृष्ण सारथी हो जाते हैं , बेशक अदृश्य रूप से हों !

जीवन के सफर में अनेक सफर आते हैं। कभी-कभी विश्राम भी करना होता है। सीखना योग्य है कि तकनीकी खराबी की वजह से ” चंद्रयान टू ” का प्रक्षेपण एक बार रोक दिया गया। यह कोई हार नहीं थी। ऐसा भी नहीं था कि क्या चंद्रयान प्रक्षेपण हमेशा के लिए रूक गया ! नहीं बिल्कुल नहीं।

सभी ने देखा कि तकनीकी खामी को दूर कर पुनः चंद्रयान टू का प्रेक्षपण किया गया। साफ संदेश है कि जिंदगी चंद्रयान टू की तरह है। कोई खामी है तो रूक जाइए , उस खामी को दूर करिए। जिंदगी में अनुभव प्राप्त करने के लिए सेवा क्षेत्र कोई भी चुना जा सकता है परंतु जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। जब उद्देश्य स्पष्ट होता है तो पथ कोई भी चुना जा सकता है। स्वविवेक का प्रयोग करना महत्वपूर्ण होता है।

यह बहुत अच्छा समय है कि रवि द्विवेदी जैसे युवा के सामने का कुहरा छंट गया , एक धुंध समाप्त हुई। ग्रहण चंद्रमा मे भी लगता है और सूरज मे भी किन्तु ग्रहण समाप्त होते ही वही चांदनी , वही प्रकाश जीव , जंतु और मनुष्य सबको जीवन प्रदान करता है।

देखते ही देखते रवि द्विवेदी ने एक के बाद एक निर्णय लिया और इस बार का निर्णय समस्त साधन – संसाधन के साथ बुंदेलखण्ड की राजनीति में ऐतिहासिक होगा , ऐसी अपेक्षा है। युवाओं के लिए प्रेरणात्मक होगा। सफलता के साथ यही बात सामने निकल कर आएगी कि नौकरी छोड़कर राजनीति को सेवाभाव से चुनने वाला युवा है। एक बड़ा गुण है कि रवि द्विवेदी विनम्र संवेदनशील व्यक्तित्व का धनी है , जिस धन की सबसे बड़ी जरूरत वर्तमान समय में राजनीति को है।