गांव की बात सौरभ के साथ जन जागरण का नवयुग पंचायत राजनीति का अमृतकाल

गांव की बात सौरभ के साथ : जन-जागरण का नवयुग, पंचायत राजनीति का अमृतकाल
भारत का गांव आज भी राष्ट्र की आत्मा है। लेकिन यह आत्मा लंबे समय से उपेक्षा, अज्ञान और असहायता के अंधकार में छटपटा रही है।
ऐसे समय में ‘गांव की बात सौरभ के साथ’ एक दीपक की तरह प्रज्वलित हुआ है जो केवल रोशनी नहीं करता, चेतना भी जाग्रत करता है।
व्यापारी नेता श्री शिवपूजन गुप्ता ने इस अनूठी पहल की गहराई से सराहना की है। उनके शब्दों में यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, एक राजनीतिक-सामाजिक सुधार यात्रा है जिसका अंतिम लक्ष्य है जन सशक्तिकरण।
जब जनता जागरूक होती है, तो निर्णय सही होते हैं; और जब निर्णय सही होते हैं, तो नेतृत्व की रिक्तता अपने आप भर जाती है। कोई भी लोकतंत्र तभी परिपक्व होता है जब उसकी जड़ें गांव तक पहुंचें — यह कार्य ‘गांव की बात सौरभ के साथ’ कर रहा है।
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में, जहां पंचायत चुनाव लोकतंत्र की पहली कड़ी होते हैं, यह कार्यक्रम जनचेतना का महासंग्राम बन सकता है। यह एक ऐसा समुद्र मंथन है जिसमें अगर समाज ने सहयोग दिया, तो निश्चित ही अमृत रूपी नेतृत्व की प्राप्ति होगी।
यह पहल सस्ती राजनीति के बाजार से ऊपर उठकर, गांव की ज़मीन पर नेतृत्व, जागरूकता और संवाद का संकल्प है। सौरभ इस संवाद का माध्यम बनकर गांव-गांव, चाय चौपाल, खेत-खलिहान, मंदिर-चबूतरे से लोकतंत्र की सच्ची आवाज़ उठाएंगे जैसा कि पहले भी गांव पर चर्चा के माध्यम से कर चुके हैं।
अब समय है कि हम सब इस कार्यक्रम में भागीदार बनें। यह केवल एक व्यक्ति का प्रयास नहीं — यह आपके, हमारे और पूरे समाज का सपना है। इसके लिए जन समर्थन, सहयोग और आर्थिक संसाधन की आवश्यकता है ताकि यह आंदोलन गांव-गांव तक पहुंचे, और हर व्यक्ति को उसकी नेतृत्व की क्षमता का भान हो।
आपका छोटा-सा सहयोग भी किसी गांव में बड़े बदलाव की नींव बन सकता है।
इसलिए, आइए आगे बढ़ें ‘गांव की बात सौरभ के साथ’ को सफल बनाने में दान करें, समर्थन दें, और भारत के गांवों को नेतृत्व का उजास दें।
शुभकामनाएं और नमन् उन सभी को जो इस जन-जागरण की यात्रा में सहभागी हैं।
