गर्मी की दस्तक कवायद शुरू जल है तो कल है
दैनिक जागरण द्वारा जनपद चित्रकूट मे जल है तो कल है उद्देश्य को लेकर गोष्ठी का आयोजन किया गया , जिसमे जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश आनंद और अभियान संस्था के अलावा पर्यावरण विद गुंजन मिश्रा व भाजपा महिला जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी की उपस्थिति रही। गोष्ठी मे जिलाधिकारी ने पूर्व के कार्यों पर चर्चा की तो प्राप्त सुझाव पर भविष्य की योजना बनी।
असल मे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गर्मी ने मार्च के महीने से दस्तक देना शुरू कर दी है और प्रत्येक वर्ष सूर्य का तापमान पहले की अपेक्षा अधिक दर्ज किया जा रहा है। और जल स्तर कम होता जा रहा है। नदी , नाले और तालाबों की स्थिति पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।
बुन्देलखण्ड पानी की राजनीति के लिए जाना जाता है। यहाँ वर्षा जल और पीने के जल की कमी महसूस की जाती रही है। पिछले वर्ष जल स्तर बढ़ाने के लिए प्रशासन ने मेरी छत मेरा पानी अभियान चलाया और रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम ब्लाक स्तर पर पिछले दो वर्ष से दिख रहा है। अब इसे और अधिक अच्छा करने व बड़े स्तर पर करने की योजना बन रही है।
भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि जिलाधिकारी से जल संरक्षण पर वार्ता हुई है कि ग्रामीण स्तर पर जन जागरूकता का कार्यक्रम चलाया जाए। वहाँ कि महिलाओं एवं युवाओं से जल संरक्षण पर बात हो और पानी के कम प्रयोग मे अधिक काम किए जाने को कहा जाए। चाहे वह बाइक की धुलाई हो या कपड़ों की धुलाई हो , साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ग्रामीण स्तर मे सफल योजना साबित हो सकती है।
पर्यावरण के जानकार गुंजन मिश्रा का कहना है कि मानव जीवन पर बिन पानी सब सून की कहावत फैक्ट साबित होगी अगर सावधानी के साथ सभी सजग होकर इस ओर काम नही करेंगे। जल स्तर को बढ़ाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ अपने कुएं और तालाबों का संरक्षण व सुंदरीकरण सबसे अच्छा उपाय है।
वृक्षारोपण से हरियाली आएगी और जल बनाने की मशीन जंगल और पहाड़ हैं। जिसे नागरिकों की सहभागिता से वन विभाग और समस्त जिम्मेदार विभाग आसानी से कर सकते हैं बहरहाल आवश्यक ईमानदारी से काम करने की है।
इस कार्यक्रम मे अभियान संस्था के साथ मंदाकिनी नदी के निर्मल और अविरल होने की चर्चा हुई जैसे सीमांकन तय करना किन्तु नदी किनारे कि बस्तियां कहाँ जाएंगी और जंगल मे नदी अपनी सीमा खुद तय कर लेती है तो आवश्यकता इसे स्वच्छ बनाए जाने की है और जलस्रोत नही मरने चाहिए।
गर्मी का मौसम नदी नाले और तालाब की बात करवाने लगता है और बारिश शुरू होने के बाद चर्चा पर विराम लग जाता है लेकिन अब सजग प्रहरी की तरह जल है तो कल है का अभियान चलना चाहिए जिससे बुन्देलखण्ड का भविष्य उज्जवल होगा और मंदाकिनी नदी से चित्रकूट की धार्मिक आध्यात्मिक पहचान है इसलिए मंदाकिनी है तो चित्रकूट है और जन जन का जीवन है।