आज देश विकास और विरासत दोनो को साथ लेकर चल रहा है : पीएम मोदी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बात कही कि आप पहले प्रधानमंत्री हैं जो गीता प्रेस मे पधारे हैं। वास्तव मे यह कथन भारत के जन जन को प्रभावित करेगा कि आखिर ऐसा क्या था जो देश के कोई प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री गीता प्रेस नही पहुंचते थे !
गीता प्रेस हिन्दू धर्म के ग्रंथ और प्रेरक कहानियों की किताबें प्रकाशित करता है। ग्रंथ और किताबें पढ़ने से मनुष्य का मानसिक विकास होता है। अपने धर्म के भगवान से परिचय प्राप्त करता है और एक मात्र गीता प्रेस ही है जो प्रमाणिक रूप से सनातन और हिन्दुत्व के ज्ञान को लगातार प्रवाहित कर रहा है।
शताब्दी वर्ष मे गीता प्रेस को जो सम्मान मिला वह मोदी – योगी की सरकार मे संभव हुआ। गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया तो उन्होंने पुरस्कार की राशि लेने से इंकार कर दिया और पुरस्कार को स्वीकार कर सरकार और महात्मा गांधी का सम्मान किया।
गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष मे पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अब देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है , एक ऐसे ही देश की कल्पना हर भारतवासी करता है कि हमारी विरासत इतनी बुलंद हो कि विश्व भारत को गुरू के रूप मे देखे चूंकि इस देश से राम और कृष्ण के विचार प्रवाहित होते हैं जो जीवन जीने के लिए सबसे आवश्यक हैं।
कहते हैं गुरू वही है जो विचारों का निरंतर प्रवाह करता है। और हकीकत मे विचार ही गुरू हैं और हमारे ग्रंथ गुरू हैं। गीता प्रेस ने हिन्दू धर्म के लिए और देश के लिए सबसे बड़ा काम किया है जो रामायण , महाभारत और रामचरितमानस जैसे ग्रंथ ताजे स्वरूप मे समाज को देते रहे हैं।
हर हिन्दू ऋणी रहेगा गीता प्रेस का चूंकि आगे आनी वाली पीढ़ी इन्हीं ग्रंथ से सीखेगी और हिन्दुओं को ध्यान देने की जरूरत है कि अन्य किसी सरकार ने गीता प्रेस की ओर ध्यान क्यों नही दिया ? यह मुद्दे की बात है।
फर्क साफ है कि धर्म विशेष के तुष्टीकरण के चलते सनातन परंपरा की विशाल विरासत को गर्त मे डालने का काम आजादी के बाद से लगातार होता रहा और कौमी एकता के चक्कर मे हिन्दू ही इस ओर ध्यान नही दे पाया।
इसलिए देश और समाज को सकारात्मक व्यक्तित्व एवं धार्मिक आध्यात्मिक भाव वाले नेता ही सही दिशा दे सकते हैं जैसे उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ एवं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता प्रेस से बड़ा संदेश दिया है और विपक्ष के लिए यक्ष प्रश्न है कि आपने हिन्दुओं के मुख्य केन्द्र गीता प्रेस से दूरी क्यों रखी ? जबकि पीएम मोदी ने राम मंदिर का जिक्र किया और राम के धार्मिक आभामंडल वाले चरित्र को गीता प्रेस ने ही जीवंत रखा , गीता प्रेस का यह शताब्दी वर्ष राजनीतिक धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन को तीव्र गति प्रदान करेगा।