श्रेष्ठ समाज का निर्माण कैसे होगा ? राम को मानते हैं लेकिन राम की नही मानते
चित्रकूट : ब्रह्माकुमारी संस्थान पथरा पालदेव मे श्रेष्ठ समाज का निर्माण विषय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया। जिसमें राजयोगिनी संगीता दीदी ने कहा मनुष्य ही अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है।
एक्चुअल मे इस भाग्य पर ही इंसान निर्भर रहता है या तो वो दोष देता है या सराहता है किन्तु भाग्य का निर्माण खुद करने का अवसर मिले तो कौन नही करना चाहेगा ? तो इस ओर जरूर चिंतन करना चाहिए और ब्रह्माकुमारी संस्थान मे पहुंचकर ईश्वरीय ज्ञान लेकर अपने भाग्य का निर्माता स्वयं बनें क्योंकि निर्देशक यही चाहता है जितने भी भ्रम फैले हैं सब समाप्त हो जाएं।
उन्होंने कहा कि हमे पहले स्वयं सुधरना होगा , बुराईयों की आहूति देनी होगी और स्वच्छता को अपनाना होगा और दैवीय गुणों को धारण करना होगा , तभी श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
भोपाल से आयी हुई पारस बहन ने लोगों को बताया कि अच्छे समाज के लिए अच्छे आचरण तथा अच्छे विचारों का चयन करना होगा।
राजयोगिनी मोनिका बहन ने कहा कि नियम संयम ही मनुष्य की शोभा है। उन्होंने कहा कि भगवान राम चंद्र को सभी मानते हैं लेकिन उनकी मानते नही , वह मर्यादा पुरुषोत्तम थे तो हमे भी मर्यादा का पालन करना होगा। इसी मे सेफ्टी है।
कहने का अर्थ है कि श्रीराम चंद्र जी के नियमो को मानना होगा , उनके भाईचारा का पालन करना होगा। मन से क्लेश खत्म कर आपस मे स्नेह से रहना होगा। हर मनुष्य मे दैवीय गुण हैं उनका गुणों का विकास आत्मा और परमात्मा के मिलन से होगा , नर से नारायण बनने और नारी को श्रीलक्ष्मी बनने का अभ्यास करना होगा।
संपन्न हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम मे कुमारी सोनम ने स्वागत नृत्य किया तो वही अतर्रा से आए शिवराम भाई ने कहा अगर हम परमपिता परमात्मा की यथार्थ याद मे रहेंगे तो हमारे सारे दुख धीरे धीरे समाप्त हो जाएंगे और परमात्मा हमारी छत्रछाया बन जाएंगे। उन्होंने राजयोग से कैसे श्रेष्ठ समाज का निर्माण करेंगे , इसकी विशेषता बताई। बांदा से आए ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाई ने कहा आध्यात्मिक शिक्षा से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं।