मैं जन्म से अपराधी हूँ
By – Saurabh Dwivedi
मैं जन्म से
अपराधी हूँ
मैं सवर्ण हूँ
कहते हैं
मेरे पुरखों ने
बहुत प्रताड़ित किया
इस समाज के
दलित पिछड़ों को
सामाजिक अन्याय किया
उन्हें सम्मान नहीं दिया
नौकरी नहीं दी
उनका जीवन स्तर निम्न रखा
हर समाज समूह में
होते हैं कुछ गुंडे मवाली
सामंतवादी मानसिकता के लोग
संभव है रहे होगें
किया होगा प्रताड़ित
किन्तु मेरे समझ में नही आ रहा
मेरी सोच कितनी भी अच्छी हो
मैं सामाजिक समरसता के
पथ पर चलता हूँ
भला मेरा क्या दोष है
किसी एक को भी प्रताड़ित नहीं किया
फिर भी जन्म होते ही
मैं अपराधी हो जाता हूँ
अपने ही देश के संविधान के समक्ष
कितनी भी प्रतिभा हो
आरक्षण का दंश मुझे डसता है
मेरे माता-पिता भी
गरीब हो सकते हैं
विपरीत परिस्थिति मेरे यहाँ भी होती है
अंधेरा मेरे घर में भी छा जाता है
दो दो पैसे की मार मुझे भी झेलनी पड़ती है
जीवन आखिर किसे छोड़ता है
समय के कालचक्र में
मेरी पढ़ाई लिखाई बाधित होती है
फिर भी मेरी मैरिट कम होने पर
मेरी प्रतिभा का हनन होता है
अच्छा एक प्रश्न उपजा है
जो मुगल आक्रमणकारी आए थे
तुम उनकी भी पीढियों पर
अल्पसंख्यक का तमगा देकर
सदैव तमाम सुख सुविधा और आरक्षण हेतु
पलक पांवडे बिछाए रहते हो
और एक मैं सवर्ण
अजन्मा ही अपराधी हो जाता
आखिर कब तक चलेगा
ये सबकुछ
कब तक होगी
हमारी प्रतिभाओं की
साइलेंट डेथ
भला मैं क्यों अपराधी हूँ
पूर्व में जो बीता वो राजतंत्र भी था
तुम्हारे लोकतंत्र मे
मेरा क्या अपराध है
फिर कहना बंद कर दो
सामाजिक न्याय की बातें
मैं देखता हूँ
अनेक प्रतिभाओं की
मौत होते हुए
मैं जन्मा अजन्मा अपराधी हूँ
क्योंकि मैं हिन्दू सवर्ण हूँ
तुम्हारा “सखा”