प्रेम में मन प्लेन की तरह क्रैश हो जाता है.
एरोप्लेन जिस तरह क्रैश होता है, मन वैसे ही इश्क में क्रैश हो जाता है। सबकुछ तहस नहस हो जाता है और सीने के अंदर मलवे में तब्दील हो जाता है।
फिर भी कुछ जिंदा रह जाता है। यादें मलवे की तरह, साँसो में घुल मिलकर तन्हा किए रहती हैं। जिंदगी में एक आत्मा का प्रेम सबसे बड़ा साहस होता है। जिंदगी जीने की वह जादुई ताकत बन जाती है कि मानों हंसी खुशी मौत के कुएं में बाइक राइडिंग करते रहो।
हाँ यह संसार एक मौत का कुआं ही होता है, जहाँ धड़कनों की गूंज और साँसो के फ्यूल से जिंदगी नामक बाइक में राइडिंग करते हैं। बस कुछ अगर मार दिया गया है, तो वह सबसे जरूरी चीज इश्क है।
यहाँ प्रेम सभी चाहते हैं, प्रेम में जीना चाहते हैं पर प्रेम के दुश्मन सदियों पुराने हैं। जैसे जैसे मानव सभ्यता ने धर्म और जाति के संग स्टेटस आदि के क्षेत्र में विकास किया, वैसे वैसे प्रेम पर हजारों – लाखों बेडियां पड़ गईं और हम बस प्रेम को अंतस की गहराई से महसूस करके भी प्रेम के लिए सामाजिक वर्जनाओं में तड़पते रहते हैं।
इसलिये मुझे प्लेन का क्रैश होना और उस पर सवार जिंदगियों का मलवा बन जाना महसूस हुआ, हाँ इश्क में मन ऐसे ही क्रैश हो जाता।