शिलालेख लाख का परंतु गुणवत्ता विहीन कार्य अधूरा .

@Saurabh Dwivedi ( गांव पर चर्चा )

नोनार / चित्रकूट : महात्मा गांधी का नाम क्यों और कैसे खराब हुआ है ? प्रांतीय खंड लोनिवि कर्वी राष्ट्रपिता का नाम खराब करने में कितनी जिम्मेदार है , इसकी विवेचना आम जनता और जिम्मेदार शासन – प्रशासन को करनी होगी। आखिर जिस योजना में गांधी जी के नाम की साख हो उसके निर्माण कार्यों की गुणवत्ता मे बड़ी हेराफेरी हो तो फिर कम से कम ऐसे महापुरूषों के नाम पर योजना का नाम क्यों रखा जाए ?

यह बड़ा सवाल है कि ग्राम नोनार की सड़क जर्जर अवस्था मे रहने के बाद मरम्मत के कार्य में गुणवत्ता की कमी क्यों ? कार्य अधूरा क्यों ? ऐसे तीखे सवाल जनता को मुखर होकर शासन – प्रशासन से करना चाहिए। जहाँ एक ओर प्रशासन अपने आपको ईमानदार कहता है वहीं दूसरी ओर बेइमानी व और लापरवाही का शिलालेख अगर नजर आए तो हम कैसे एक महापुरुष की छवि की गरिमा की रक्षा कैसे कर पाएंगे ?

293 मानव दिवस व लागत 1.34 लाख

नोनार में गड्ढा मुक्त सड़क के लिए आवाज उठाने के बाद प्रशासन ने उस आवाज को सुना , यह सच है कि ” गांव पर चर्चा ” जैसे कार्यक्रम से गड्ढा मुक्त सड़क की आवाज दी गई। असर ऐसा हुआ कि प्रशासन गड्ढा मुक्त करने को आनन-फानन एलर्ट नजर आया।

एक सड़क विशेषज्ञ ने कार्य की शुरुआत मे ही गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ! उन्होंने कहा कि बगैर सड़क की साफ – सफाई किए ऐसे गिट्टी व डामर डालकर पेंटिंग करने से यह टिकाऊ नहीं होगी। यह दर्दनाक है कि हम देश के नागरिक होकर गुणवत्ता विहीन कार्य कर धन का बंदरबांट कर लें !

अधूरा काम छोड़कर गुम हैं ठेकेदार

संबंधित ठेकेदार व कार्यदायी संस्था की बड़ी जिम्मेदारी है कि वह कम से कम महात्मा गांधी की ईमानदार छवि की चिंता करें , गुणवत्ता विहीन कार्य से राष्ट्रपिता की गरिमा को चोट पहुंचाई जा रही है। यह बहुत बड़ा अपराध है कि हम वैश्विक स्तर के आंदोलनकारी जननेता की छवि को बरकरार नहीं रख पा रहे हैं।

यह महात्मा का देश है , यह महात्मा का गांव है तो कम से कम गांव की सड़क पर गुणवत्तापूर्ण कार्य होना चाहिए। गांव की सड़क को यूं लावारिस अधूरी छोड़कर भी नहीं जाना चाहिए। शिलालेख लाखों का पाट दिया गया परंतु कार्य अधूरा व गुणवत्ता विहीन है।

गांव की जनता मे इस बात का रोष है कि पटरी मरम्मत का कार्य शुरू किया गया परंतु अधूरा व खराब काम किया गया है , लेकिन वह मजबूर होती है कि उसकी आवाज सुनेगा कौन ? अफसर जनता की पहुंच से बहुत दूर होते हैं व जन आवाज को नजरंदाज भी कर दिया जाता है।

जन – जन की आशा है कि खराब व अधूरे काम पर जनपद के नेता व प्रशासन की पैनी नजर पड़ेगी और कार्य को गति देकर पूर्ण कराया जाएगा। साथ ही वह गांव पर गड्ढा मुक्त सड़क से लेकर एकदम सपाट सड़क की चाहत रखते हैं , वैसे सच है कि इस पूरी सड़क पर एक तरफ से पेंटिंग करने की जरूरत है। जिससे यात्रा सुगम व सुंदर होगी और महात्मा गांधी के नाम की तरह सड़क का भी नाम होगा।
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Karwi Chitrakoot }