माँ की प्रकृति ही है कि बेटी को स्टार बना दिया.
By – Saurabh Dwivedi
ये एक माँ की प्रकृति ही है कि बेटी को स्टार बना दिया। हाँ किरण नवानी एक ऐसी ही माँ हैं जिन्होंने अपनी डिंपल नवानी को कला जगत में उड़ान भरती हुई स्टार बनाया।
माँ शब्द अपने आप में ममत्व और सुख का द्योतक है। माँ अर्थात जननी , जिसने जन्म दिया। सृष्टि की सृजनी एक माँ होती है। एक ऐसी ही माँ हैं , जिन्होंने ना सिर्फ जन्म दिया बल्कि जन्म के बाद प्रतिभा को भी जन्म दिया। प्रतिभा का पालन-पोषण किया। उस दुनिया में जहाँ बेटियों के उड़ान भरने वाले पर कतर दिए जाते हैं। जहाँ विश्वास की कमी होती है। या तो बेटियों की भ्रूण हत्या कर दी जाती है या फिर जन्म के साथ विवाह तक की जिम्मेदारी निभाकर माता-पिता मुक्त हो जाते हैं। ऐसे में एक माँ स्वयं के जीवन संघर्ष के साथ अपनी बेटी की जिंदगी को संसार के पटल पर महान कलाकार के रूप में प्रस्तुत कर दे तो तीन घंटे वाली मूवी का हर डायरेक्टर असफल सिद्ध होता है।
ऐसी ही हैं किरण नवानी। जिन्होंने अपने जीवन की किरणों से बेटी जैसे पुष्प को कली – कली खिल जाने का अवसर दिया। उन्होंने पिता का कर्तव्य भी परोक्ष रूप से निभाया और संरक्षण तथा मार्गदर्शन से बेटी डिंपल नवानी को सिंधी फिल्मों की बेस्ट एक्टर बनाने तक का सफर तय करा दिया। लेकिन डिंपल का कहना है कि ये सफर यहीं नहीं थमने वाला बल्कि बालीवुड फिल्मों में काम करने के साथ भी बढ़ता रहेगा।
बेटी की प्रतिभा के साथ माँ की तारीफ मुख्य इसलिये है कि बहुत कम माँ ऐसी मिलती हैं जो दुनियादारी से इतर बेटी को प्रतिभा अनुसार जिंदगी का कैरियर चुनने की आजादी देती हैं। इसके पीछे एक आशंका चरित्र आदि को लेकर व्याप्त होने से अनेकों प्रतिभाएं नष्ट हो जाती हैं। शायद इसी को कहते हैं जमाने की नजर लग जाना।
लेकिन किरण नवानी ने ममता के संसार से गर्भ सिर्फ एक बेटी को मात्र जन्म नहीं दिया। बल्कि एक अटूट अद्भुत प्रतिभा का सृजन भी किया है। अपनी नजरों के सामने प्रतिभा को पुष्प की तरह खिलने दिया और उसी बेटी की खुश्बू फिल्मों की दुनिया में हवाओं में मिश्रित होकर महक रही है। डिंपल नवानी एक एक्टर के रूप में दर्जनों एवार्ड से सम्मानित होकर कहती हैं कि वो जो कुछ भी हैं उसके लिए पूरा श्रेय माँ को जाता है।
वो सिर्फ एक एक्टर नहीं बल्कि समाजसेविका भी हैं। गरीब , असहायों की मदद करना अपना कर्तव्य समझती हैं। सच है कि जब मदद का भाव जन्म लेता है तभी मनुष्य में देवत्व के गुण आ जाते हैं। ऐसे ही नहीं कहा गया कि यहाँ ” कंकर कंकर में शंकर हैं ” अर्थात जब मनुष्य मदद के भाव से जीता है तब देवत्व की परछाईं से विद्यमान होता है। हाँ यही कहा जा सकता है डिंपल नवानी के लिए कि वो अपनी कला के विकासशील परचम को लहराने के साथ असहायों की जिंदगी की कला को भी निखारने का प्रयास करती हैं।
माँ – बेटी की यह जोड़ी भारत की हर माँ के लिए प्रेरणास्रोत है। देश के माता-पिता को इनसे सीख लेकर बेटियों को उड़ान भरने के लिए तैयार करना चाहिए कि उनकी कला का विकास हो और जीवन अस्तित्व से परिपूर्ण होकर जिएं।