काहे का रामराज्य हम बताएंगे रामराज्य क्या होता है ?
कर्मचारी अत्यंत क्रोध मे हैं। उन्होंने कलम बंद हड़ताल कर दी है। हड़ताल मे वह भाषण देकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं व आवाज दो हम एक हैं जैसे नारे विकास भवन के लिविंग एरिया मे गुंजायमान हो रहे हैं। यह नाराजगी युवा मोर्चा भाजपा के जिलाध्यक्ष और उनके अन्य साथियों के खिलाफ है जिनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
महिला कर्मचारी प्रियंवदा पाण्डेय अपने भाषण के दौरान कहती हैं कि हम बेटियां हैं और अब हमे डर लगने लगा है कि नौकरी कैसे करेंगी ? हम बहनों से तो कोई आकर बत्तमीजी से बात कर ले वही हमारे आत्मसम्मान के अत्यंत खिलाफ हो जाएगा। संभव है कि कल के दिन हमारे माता – पिता कहने लगें कि छोड़ दो नौकरी ? तो क्या हम नौकरी ना करें !
वह पीड़ित सचिव घनश्याम दास शुक्ला का नाम लेते हुए कहती हैं कि ऐसी निंदनीय घटना सुनकर व वायरल वीडियो देखकर बहुत बुरा लगा कहने का यथार्थ था मेरी तो रूह कांप गई अपने ही ब्लाक परिसर मे मुझे डर लगने लगा है आखिर कोई ऐसे कैसे कर सकता है ?
इस सवाल के साथ ही वह कुछ क्रोधित हो जाती हैं और बोलती हैं ” काहे का रामराज्य ? ” क्या रामराज्य ऐसा होता है ? अरे गोशाला हम चलाएं , हैंडपंप हम बनवाएं , कोई मर रहा हो तो उसके लिए काम करें और कोई जी रहा हो तो भी उसके लिए काम करें और गाँव वालों का काम एक दिन मे ना हो तो वह हमारे सर पर आकर बैठ जाते हैं , हम पर बेजा दबाव बनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि पांच ब्लाक मे 150 कर्मचारी होता है अगर वह काम नही करेगा तो पता चलेगा काम करता कौन है ? क्या नेता काम करते हैं ? वह कहने लगीं अरे हम बताएंगे रामराज्य क्या होता है और आगे वह साथी कर्मचारियों को कसम खिलवा दीं कि कसम है अगर किसी ने काम किया……..
बेशक एक घटना हुई है। जिसमे कर्मचारी अपना पक्ष रख रहे हैं और भाजयुमों कार्यकर्ताओं ने भी गंभीर आरोप लगाया है कि उनके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपशब्द का प्रयोग किया है और जिलाध्यक्ष को धक्का दिया गया। मामला भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर चर्चा करने के लिए था जैसा कि बताते हैं कि महामंत्री प्रमेन्द्र प्रताप सिंह के सैनिक पिता हाल ही मे परलोक सिधार गए तब उनको एक मृत्यु प्रमाणपत्र देने मे सीनियर कर्मचारी जगदीश पटेल ने दर्जन भर दिन चक्कर लगवाते रहे और तमाम अनुनय विनय के बाद वह एक स्व. सैनिक के पुत्र को उनका मृत्यु प्रमाणपत्र दे पाते हैं।
ऐसे ही कुछ मामले जो इस टकराव के कारण बने और उसका सीधा केन्द्र घनश्याम दास शुक्ला हो गए। एक वास्तविक तथ्य यह भी है कि ऐसी घटना के पीछे कर्मचारियों की भी आपसी कूटनीति होती है , जो बाहर एक दिख रहे हैं वो अंदर से बंटे हुए हैं।
जैसे कि एक वरिष्ठ कर्मचारी यह कहते हुए सुने गए कि आजकल के जो लड़के हैं नए सचिव हैं उनका बात करने का तरीका हमेशा अच्छा नही रहता , घमंडी हैं हालांकि वह एक दो कर्मचारी का नाम भी ले रहे थे पर हम बिना लिखित आधार के उसकी पुष्टि नही कर सकते। आगे बोलते हैं कि हमने तो उस दौर से नौकरी करना शुरू किया है जब आदमी को सीधे मार दिया जाता था और गायब भी कर दिया जाता था। तो साफ है अनुभव और सीखने के दौर का यह अंतर है।
एक बात और सरकार को गौर करने योग्य है कि एक ग्राम सचिव 5 गाँव कैसे संभाल लेगा ? संभवतः इन पर काम का इतना प्रेशर बढ़ गया कि इनके लोक व्यवहार मे कमी पाए जाने की भी चर्चा हो रही है। इसलिए प्रशासन को ध्यान देकर अधिक भर्तियां कर कम से कम एक गांव अधिकतम दो गांव कर दें जिससे इनका मानसिक स्तर उत्तम रहे और यह जीवन के दृष्टिकोण से भी सही रहेगा आखिर अपने परिवार को समय देंगे बीवी बच्चों के पास रहेंगे तो मधुर स्वभाव रहेगा।
कुलमिलाकर एक घटना के पीछे इतनी विसंगतियां हैं जितनी एक ज्वालामुखी के विस्फोट होने मे धरातलयी विसंगतियां कारगर होती हैं और उतना ही समय भी लगता है। इसलिए शासन – प्रशासन को बैठकर सामंजस्य स्थापित कर एक अच्छा माहौल बनाने की ओर सोचना चाहिए।
अन्यथा अगर एक महिला नौकरी करने से भय खाने लगे तो आप किन महिला अधिकारों की बात करते हैं। यत्र नारी पूज्यंते तत्र रमन्ते देवता कैसे चरितार्थ होगा ? इसलिए कर्मचारी हों या नेता राजनीति , कूटनीति और भ्रष्ट आचरण व व्यक्तिगत घमंड से ऊपर उठकर जनहित मे निर्णय लें और काम करने लायक माहौल होगा तो ऐसी निंदनीय घटनाएं कभी नही घट सकतीं।
इस दौरान कर्मचारियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। कार्यक्रम का संचालन जगदीश पटेल ने किया जो नेतृत्वकर्ता की तरह कहते आवाज दो ……. कर्मचारी बोलते हम एक हैं। इस दौरान सभी संबंधित कर्मचारी उपस्थित रहे।