कैसे बनें सफल उद्यमी ? खंडेहा महोत्सव मे बृजेश त्रिपाठी ने बताया.

@Saurabh Dwivedi

एक गांव का महोत्सव ग्राम वासियों को एक सूत्र मे पिरोने का कार्य करता है व गांव के लोग रचनात्मक कार्यों की ओर रूचि रखने लगते हैं। ऐसा ही एक महोत्सव खंडेहा विकास समिति द्वारा खंडेहा गांव मे आयोजित किया जाता है। महोत्सव मे प्रसिद्ध उद्यमी बृजेश त्रिपाठी मुख्य चेहरा बनकर उभरे।

बृजेश इसी गांव के रहने वाले हैं। जिसे पैतृक गांव कहा जाता है। जब गांव का बेटा एक सफल उद्यमी के रूप मे गांव के बीच पहुंचता है तब समझ सकते हैं कि गाँव वालों को भी कितनी प्रेरणा मिलती होगी और खुशियों की लहर हर दिल मे उठती होगी। ऐसा ही खंडेहा महोत्सव मे एक नजारा छा गया।

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जैसे ही बृजेश महोत्सव मे पहुंचे तो वहाँ फिल्मी माहौल छा गया। जैसे फिल्म मे परदेश से कोई अमीर बनकर आता है तो पूरा गाँव स्वागत करने के लिए आतुर हो जाता है। वैसे ही गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने बृजेश त्रिपाठी के स्वागत सत्कार मे तन – मन एक कर दिया।

यह मौका इसलिए भी था कि बृजेश अभी – अभी मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कार प्राप्त करने हेतु नामित किए गए। उनकी कंपनी विशिष्ट गुणवत्ता उत्पाद की श्रेणी मे चयनित हुई। इनकी कंपनी मे खासतौर से प्रिया मसाले का उत्पादन शुरू हुआ फिर विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाने लगे। जैसे कि प्रिया चाय और अलग से मिर्च व हल्दी का उत्पादन भी। साथ ही कामदगिरि अगरबत्ती भी सुगंध की पहचान बन रही है।

इन्होंने गुणवत्ता को प्राथमिकता हृदय से प्रदान की और परिणाम यह हुआ कि प्रदेश सरकार ने विशिष्ट गुणवत्ता उत्पाद से पुरस्कृत करने का बड़ा निर्णय पत्र द्वारा अवगत कराया। जिसकी चर्चा जनपद चित्रकूट मे चहुंओर हुई तो उनके गाँव मे हर हृदय और जुबान पर बृजेश त्रिपाठी आज उदाहरण बनकर सामने आए।

घूस दबाव मे देते हैं – दान ईश्वरीय इच्छा से करते हैं.

गाँव का बेटा जब पुरस्कृत होता है तो संपूर्ण गाँव का नाम रौशन होता है। यही कारण था कि बृजेश त्रिपाठी का शानदार स्वागत हुआ। एवं वहाँ बृजेश से निवेदन किया गया कि अपनी सफलता के मूल मंत्र गाँव के युवा – युवतियों को बताएं।

कैसे सफल बनें ?

अब बृजेश के हाथों मे माइक था और मंच पर बृजेश थे। बेहद भावुक पल मे गाँव वालों के सामने बृजेश वाणी शुरू होने लगी जैसे सफलता की आकाशवाणी सुनाई देने लगे।

उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। पलायन के साक्षी बने और बताया कि पलायन करने के साथ कैसे एक सफल उद्यमी बनने की ललक आज साकार हुई है। इस संघर्ष की कहानी मे वह अपनी वाइफ को याद करते हैं। आज भी उनकी वाइफ मैनेजिंग डायरेक्टर होते हुए कंपनी मे साधारण तरीके से काम कर कैसे उनका सहयोग करती हैं कि वह गर्व करते हैं और इसी को वास्तव मे जीवनसाथी कहते हैं।

गाँव मे महिलाओं के लिए उनकी वाइफ प्रेरणा बनकर प्रस्तुत हुई हैं। उनका उदाहरण गाँव के मुखियाओं की मानसिकता मे परिवर्तन लाने के लिए पर्याप्त है।

इस बीच उन्होने अपने शब्दों मे कहा कि एक बार शुरू कर रूकना मत अर्थात यह तो वही बात हो गई जैसे स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि खड़े हो जाओ और लक्ष्य की प्राप्ति तक रूको मत। यही वो मूलमंत्र है कि जीवन मे कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। बशर्ते रूकना मत चलते जाना।

वह कहते हैं कि यही किया छोटी सी नौकरी करने के साथ मन – मस्तिष्क मे सोच बड़ी रखी और जैसे ही अवसर आया वैसे ही खुद की कंपनी स्थापित की। लेकिन वह ईमानदारी की भावना का अहसास कराते हैं और गुणवत्ता को सर्वोत्तम बताते हैं।

जब मसाले की बात है तो यह हर्ड इम्युनिटी के सबसे बड़े कारक हैं। इसलिए मसाले की गुणवत्ता के साथ समझौता करना अर्थात अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता करना है और उनकी सोच मे हर भारतीय का उत्तम स्वास्थ्य है। इसलिए वह हल्दी मतलब हल्दी ही देते हैं कोई मिलावट नही करते फिर यही कारण बना कि उनके उत्पाद की डिमांड लगातार बनी रही। गुणवत्ता सही होने से उन्हें शासन – प्रशासन से भी सम्मान और सहयोग मिलने लगा।

इसलिए उन्होंने खंडेहा विकास समिति के आयोजकों का आभार जताते हुए गाँव के युवाओं को सफल उद्यमी बनने की ओर प्रेरित किया। लगन और गुणवत्ता को प्राथमिकता मे रखने का मंत्र दिया। इस बीच कार्यक्रम मुख्य आयोजक कुलदीप सिंह व इंजीनियर कंचन सिंह और भरत आदि ने कंधे पर साल समर्पित कर स्वागत किया। उनके संपूर्ण भाषण मे ग्रामवासी खूब गदद रहे और तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही , आखिर गाँव का बेटा सफल उद्यमियों की पंक्ति मे जो आ खड़ा हुआ है।