कुमार के सुर से सुरमय होगा बांदा एवं बढ़ेगा विश्वास।

By – Saurabh Dwivedi

बुंदेलखण्ड की धरती अपनी वीरता हेतु ऐतिहासिक पहचान रखती है। महोबा – बांदा से लेकर झांसी तक यूपी बुंदेलखण्ड में आल्हा – ऊदल का वीर रस सदैव प्रवाहित रहा है। यह भी सच है कि बांदा – चित्रकूट साहित्य के रस से अछूत महसूस करता रहा। यहाँ साहित्य को लेकर किसी ने अब तक अलख नहीं जगाई थी , जिससे लोगों की आत्मा का विकास हो सके और सही सोच व पथ प्रदर्शन हो सके।

लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के समय से नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक एवं सहारा हेड रमेश अवस्थी का पदार्पण इस जमीं का गवाह बन रहा है। मौका भी है और दस्तूर भी है। इन्होंने बांदा – चित्रकूट को वह देने का मन बनाया जो किसी ने सोचा नहीं था।

भारत रत्न कविता प्रेमी अटल बिहारी वाजपेयी हमारा बीच नहीं रहे पर काव्याञ्जलि का आयोजन कर कविता व अटल जी के विचारों का मन – मस्तिष्क में प्रवाह करने की सोच ही है कि साहित्य के जरिए मनुष्य की सोच मानवता की ओर ले जाने की कोशिश जारी है।

रमेश अवस्थी मूलतः पत्रकार हैं एवं साहित्य प्रेमी है। यह भी सच है कि अटल बिहारी वाजपेयी की छाप उन पर गहरे रंग से पड़ी हुई नजर आती है। उतने ही मृदुभाषी महसूस होते हैं। नेतृत्व को लेकर आपकी सोच वर्तमान परिदृश्य की गवाह है कि व्यक्तियों का मन पुलकित होगा और मानवता की ओर सोचने को मजबूर होगें।

अभी कुछ महीने पहले ही काव्याञ्जलि का आयोजना हुआ। कविता का रस मनों में प्रवाहित हुआ। बांदा – चित्रकूट की जनता साहित्य के अस्तित्व को महसूस करने लगी। अब वो वक्त भी आया कि कविताओं के सरताज कुमार विश्वास मन को जागृत करेंगे।

इनके अथक प्रयास से कविता अपने सुर में सुरमयी होगी तो बांदा – चित्रकूट भी सुरमय हो जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं सम्पूर्ण बुंदेलखण्ड की जनता प्रवाहमय होने को तैयार है। दूर-दूर से लोग इस कार्यक्रम के गवाह बनने के लिए तैयारियों पर जुटे हुए हैं।

नेतृत्व और साहित्य का संबंध पिता और माँ के रिश्ते की तरह है। जब एक बेटा अपने माता-पिता के सहारे जीवन को साकार करना चाहता है। वैसे ही नेतृत्व के साथ साहित्य हो तो वास्तव में वह सर्वोत्तम मातृत्व से परिपूर्ण नेतृत्व कहा जाएगा। बेशक रमेश अवस्थी एवं उनके पुत्र सचिन अवस्थी सहित सभी सहयोगियों का यह प्रयास बांदा – चित्रकूट के लिए ऐतिहासिक होगा।