प्यार हो जाना गुनाह तो नहीं है ?

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जिंदगी में
प्यार हो जाना
गुनाह तो नहीं है ना ?

किसी को
अन्तस की गहराई से
महसूस कर लेना
गुनाह तो नहीं है ना ?

अगर हों
अजीबो-गरीब हालात
सीने में समाए
हृदय स्थल के आस-पास
दर्द ही दर्द महसूस हो
उस दर्द को अपना बनाए रखने
नासूर की तरह पालने का शौक
प्यार है ना ?

साक्षात मिलन
अधूरा हो
विरह में जिंदगी
जीना हो
आभास हो कि
ये प्यार आत्मीय है
आसमानी अप्सरा के लिए
काल्पनिक है पर
अलौकिक है

ऐसे प्यार को
जिया जाना
गुनाह तो नहीं है ना ?

कुछ ऐसे कि
तस्वीरें उसकी
मन की आंखो से उतर कर
पहाड़ , जंगल और
पेड़ पौधे के आस- पास
रहते हुए
उसका खुश होना
प्रकृति की तरह
खुशनुमा खिलती हुई
तने और पत्तियों की तरह मचलती हुई
हवा की तरह स्पर्श करती हुई
महसूस करना
महसूस होना
गुनाह तो नहीं ?

जिंदगी के सफर में
आसमानी अप्सरा को
महसूस करना
अलौकिक प्रेम को
शब्दों से रचना
गुनाह तो नहीं ?

हाँ प्रैक्टिकली ना चाहते हुए
इमोशनली रचते रहना
आंसुओं का प्रेम प्याला पीना
गुनाह तो नहीं ?

सवाल और जवाब
बहुत होगें
फिर भी सवाल सिर्फ इतना ही
इस तरह प्रेम करना
प्रेम महसूस करना
यदाकदा रचते रहना
गुनाह तो नहीं ?

तुम्हारा ” सखा ”