मंदाकिनी पुनर्जीवन अभियान को लेकर महिलाएं बन रही हैं मंदाकिनी सखी : दिव्या त्रिपाठी
By :- Saurabh Dwivedi
मंदाकिनी तट पर निवास करने वाली समाजसेवी स्वभाव की धनी महिला ग्राम प्रधान दिव्या त्रिपाठी समाजसेवी स्वभाव की महिलाओं के साथ मंदाकिनी पुनर्जीवन अभियान को गति प्रदान करने में जुटी हुई हैं। माँ मंदाकिनी पुनर्जीवन अभियान चित्रकूट की जनता , व्यापारी और युवाओं के मन में शनैः शनैः बस चुका है , जिसमें अफसर क्लास के लोग भी छुट्टी के दिनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
यह अभियान किसी एक व्यक्ति की चिंता का नहीं है। बल्कि सामूहिक सामाजिक चेतना जागृत होने से व सरकारी प्रयास से मंदाकिनी को दर्शनीय रमणीय स्थल बनाया जा सकता है। प्रधान संघ की अध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि मंदाकिनी पुनर्जीवन अभियान जनमानस की आत्मा का अभियान बन जाने से जन – जन के जीवन की रक्षा हो सकेगी। यह गर्व का पल है कि महिला सखियों के अंतर्मन में भी मंदाकिनी पुनर्जीवन को लेकर जागरूकता का संचय हुआ है। जिसमें तमाम महिला नेत्री एवं आफिसर क्लास की सखियां भी मंदाकिनी सखी बन रही हैं। जैसे कि संगीता सोनी , रविमाला एवं राजेश्वरी द्विवेदी जैसी समाजसेवी महिलाएं मंदाकिनी सखी के भाव से पुनर्जीवन अभियान में प्रतिभाग कर रही हैं।
पर्यावरण संरक्षण एवं मंदाकिनी पुनर्जीवन को लेकर उन्होंने कहा कि सखी भाव से मंदाकिनी सेवा करने से सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। चूंकि महिलाएं जब एक – दूसरे की सखी होती हैं तो सखियां हर दुख – दर्द बांट लेती हैं। माँ मंदाकिनी हम सभी के दुख – दर्द को बांटती रही हैं। अतः वो वक्त आ गया है जब सखी भाव से महिलाएं मंदाकिनी सफाई और नदी सीमांकन तथा दोनों छोर पर वृहद वृक्षारोपण जैसे पुनीत कार्य में बड़ा सहयोग प्रदान करेंगी।
धर्मनगरी चित्रकूट के आसपास के मंदाकनी तटीय गांवो की जीवन धारा नदी है। कृषक भी मंदाकिनी के जल पर निर्भर हैं , जिससे खेती होती है। साथ ही पेयजल का भी सबसे बड़ा माध्यम भी यह नदी है। जीविका के साधन में नदी का सबसे बड़ा योगदान है। सब्जी की खेती करने वाले छोटे किसान भी इस नदी की महिमा से जीविकोपार्जन कर पाते हैं। किन्तु ठंड बीतने के साथ नदी सूखती चली जाती है। कुछ एक क्षेत्र को छोड़कर नदी जलविहीन हो जाती है अर्थात नदी का श्रृंगार समाप्त हो जाता है। इसलिये समाज को कम से कम आवाज देना चाहिए और सामर्थ्य अनुसार नदी के लिए श्रमदान करना चाहिए। जिसमें सखी भाव से महिलाएं अच्छा योगदान दे रही हैं।