बीजेपी सांसद विधायक की मारपीट से युवाओं को बड़ी सीख.
By – Saurabh Dwivedi
बीजेपी के सांसद और विधायक के बीच संत कबीर नगर से मारपीट का जो मामला जनता के समक्ष प्रस्तुत हुआ है। वास्तव में राजनीति यही है। फर्क सिर्फ इतना सा है कि अंदर की रार बाहर प्रकट हुई है। मन ही मन में जो गुबार बन चुका था , वो गुस्से में हकीकत का दर्शन करा गया।
यह वक्त भारत के माता-पिता को समझने का है कि कुछ समय के लिए अपने बच्चों पर राजनीतिक दल का कार्यकर्ता बनने में पाबंदी लगा दीजिए। ये दल युवाओं को मानसिक रूप से बीमार कर रहे हैं।
वास्तव में देश के लिए राजनीति का अभाव हो चुका है। व्यक्तिगत प्रभाव हेतु तमाम जनपदीय नेता दलों में बीमार मानसिकता के साथ सक्रिय हैं। इनकी महज इतनी सी कूटनीति है कि पैर खींचना है। कोई आगे बढ़ता दिख रहा है उसकी बाधा बनना है। यहाँ आगे बढ़ने के लिए स्वयं का मानसिक विकास ना करके दूसरे को बीमार करने की सोच रखी जाती है।
अब कुछ ही नेता ऐसे बचे हैं जो राष्ट्र हित में राजनीति कर रहे हैं। बहुतायत स्व – हित में राजनीति में सक्रिय हैं। सांसद – विधायक बनकर जितना व्यक्तिगत हित साधते हैं उतना जनहित साधने की कोशिश नहीं करते हैं।
राकेश बघेल व शरद त्रिपाठी की मारधाड़ वक्त का आईना है कि यहाँ राष्ट्रवाद असफल हो जाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद किताबों में बंद हो जाता है। हृदय में अगर कुछ रह जाता है तो व्यक्तिगत नाम और प्रसिद्धि की तलब !
असल में अंदर खाने में हर दल के अंदर का यही हाल है। कुछ एक राष्ट्रीय – प्रांतीय स्तर पर अच्छे नेता हैं और उन्हीं की बदौलत देश – प्रदेश चल रहा है। शेष यहाँ गुरिल्ला युद्ध के सिवाय कुछ खास दर्शन अवशेष स्वरूप मे है नहीं !
बड़ा विस्मयकारी है कि नेता वो बन रहा है , जिसे टाइम मैनेजमेंट भी नहीं आता। जिसमें संवेदनशीलता नहीं है। जनता भी बाहुबली से प्रभावित होकर उसे ही चुनती रही है और परिणाम वही मिला कि चुनी हुई बाहुबली चिड़िया ने किसानों के खेत चुन डाले। नेतृत्व का अर्थ अच्छा माहौल प्रदान करना होता है और आजकल नेता सिर्फ माहौल खराब कर रहे हैं। मानसिक प्रदूषण फैलाने में दलों के दलाल ( नेता ) अव्वल हैं। इन्हें दल का दलाल इसलिये कहना पड़ रहा है कि इनके पास नेतृत्व का अर्थ व दर्शन ही नहीं है। ये सिर्फ दलगत मानसिकता के साथ जातीय , धार्मिक टिप्पणी आदि करके अपना उल्लू सीधा करते हैं।
वक्त की मांग है कि युवा राजनीतिक दलों से बचे और राष्ट्र हित में कुछ रचनात्मक काम करे। सर्वप्रथम राजनीति के बाहर से राजनीति में स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत का संकल्प सिद्ध करना होगा , तब जाकर राजनीति करने योग्य हो पाएगी। अभी बड़ी प्रदूषित है राजनीति। संत कबीर नगर के सांसद – विधायक को धन्यवाद कि आपने आंख खोल देने वाला दर्शन प्रदान कर दिया।