वो राजनीति पर लिखता था , वो बात करने से डरती थी।

By – Saurabh Dwivedi

किसी की याद आने के अनेक कारण हो सकते हैं , जैसे मुझे इनबॉक्स वाली लेडी याद आ रही है। उनका कहना था कि आपसे बात करने की इच्छा बहुत होती थी , पर आपकी राजनीतिक पोस्ट देखकर मन नहीं करता था।

सच है कि राजनीतिक लोग खतरनाक ही माने जाते हैं। उनके कथन से आभास होता है कि राजनीतिक लोग अच्छी छवि खो चुके हैं। नेता हैं इसलिये दूर रहो !

मेरा राजनीति पर लिखने की वजह बचपन से जुड़ी है। भविष्य क्या होगा ? मुझे नहीं पता। अब तो अक्सर राजनीति से मोह भंग होता है , पर यह भी सच है कि जिंदगी से जब भी हार महसूस कि तो जिंदगी कहीं ना कहीं राजनीति करने के लिए आतुर दिखी , इस माध्यम से देश और समाज के लिए कुछ कर सकूं।

समय के साथ बदलाव होता है , मेरी भी जिंदगी में बदलाव हुआ और प्रेम पर कविता लिखने लगा , कुछ अन्य रोचक विषय पर कलम चलने लगी। जिंदगी को महसूस करने लगा और मन पर शोध करने लगा। मनोविज्ञान से संबंधित किताबे पढ़ने लगा , जिससे जिंदगी , समय और रिश्ते पर लिखने लगा।

शनैः शनैः महसूस हुआ कि राजनीति होती रहेगी , राजनीति के लिए अधिक से अधिक धन चाहिए। चूंकि राजनीति व्यवसायिक हो गई और इस कटु सत्य को स्वीकार करना होगा। फिर भी एक हसरत है कि कभी परिस्थिति ने साथ दिया तो एक बार चुनाव लड़कर सक्रिय प्रवेश करूंगा।

खैर मुझे उन महिला के माध्यम से कहना था कि नेता समझ लें कि आपके कुकृत्यों की वजह से लोग अंदर ही अंदर नफरत करने लगते हैं। आपके प्रति उदासीन हो जाते हैं। चूंकि मैं राजनीति से इतर जिंदगी पर अनेक बार कुछ लिखता रहा , कुछ कहानियां साझा करता रहा तो वो बात करने जरूर आई थीं। वही हमारी पहली और अंतिम बातचीत थी।

मुझे उनका नाम भी याद नहीं , मेरी किसी पोस्ट पर भी अब दिखती नहीं कि पहचान सकता। सोशल मीडिया पर लिखने का अर्थ यही नहीं कि लोग आपके बारे में आकलन नहीं कर रहे , बल्कि आपके शब्द और विचार से व्यक्तित्व का पता चलता है। इस आधार पर ही लोग आप से जुडते हैं अथवा नहीं जुडते हैं , जैसे कि राजनीतिक पोस्ट की वजह से वो मुझसे बात करने से डरती थीं। अब वे फेसबुक पर हैं या नहीं पता नहीं !