कृष्णा कोल जैसे लोग इच्छाशक्ति से परिणाम प्राप्त करने के उदाहरण हैं : सत्यप्रकाश द्विवेदी

By :- Saurabh Dwivedi

जिंदगी में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमतानुसार सृजन कार्य करना चाहिए। सृजन जीवन का वह कार्य है जो आपको सम्मानित होने से लेकर प्रसिद्धि के दरवाजे खोल देता है। सर्वोपरि बिंदु ये है कि आपके सृजन से भविष्य की पीढ़ियों को बड़ा सुख मिलेगा और सांसारिक अनुपस्थिति के बावजूद भी भागीरथ , महात्मा गांधी , सुभाष चंद्र बोस , राजनारायण , अटल बिहारी वाजपेयी , अब्दुल कलाम सरीखे तमाम व्यक्तित्व की तरह सराहे जाएंगे। लोग आपके व्यक्तित्व और कार्य का अनुसरण करने के लिए उदाहरण देंगे। ऐसा ही एक उदाहरण खोजी पत्रकार अनुज हनुमत पाठा के बीहड़ से खोज कर लाए। जिन्होंने एक निश्चित लक्ष्य तय कर सही दिशा में अनवरत कार्य किया और लक्ष्य प्राप्ति की। लक्ष्य भी कोई ऐसा-वैसा नहीं बल्कि जिसके लिए शासन – प्रशासन समस्त मशीनरी के साथ जनशक्ति – जलशक्ति की बात करता है।

ऐसे ही जनशक्ति – जलशक्ति के नायाब उदाहरण को प्रेस क्लब चित्रकूट के जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी ने जब सम्मानित किया तो वास्तव में खुशी सिर्फ कृष्णा कोल को नहीं हुई। बल्कि इस खुशी का संचार प्रत्येक समाजप्रिय , समरसता प्रिय और जीवनप्रिय व्यक्ति रगों में संचार हो गया।

जब भी समाज में कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करे सचमुच उसे सम्मानित होना चाहिए। सम्मान वह ऊर्जा है जो आदमी को अत्यधिक कार्य करने के लिए प्रेरणा प्रदान करती है। बुंदेलखण्ड के दशरथ मांझी कहलाने वाले कृष्णा कोल इस सम्मान को प्राप्त कर भरपूर ऊर्जा से कार्य कर सकेंगे।

महापुरूषों ने इसलिये कहा है कि कोई भी इंसान छोटा या बड़ा नहीं होता। कोई भी इंसान तुच्छ नहीं होता। अभाव में बड़े बड़े कार्य हमेशा संपन्न हुए हैं। भारत का गौरान्वित इतिहास ऐसे तमाम कार्यों से पटा पड़ा है। उम्र के लगभग अंतिम पड़ाव की जारी यात्रा में इच्छाशक्ति की बदौलत कृष्णा कोल ने अकेले दम पर कुंआ खोदने का वह कार्य किया जिन कुंओं को लोग पाटने का काम करने लगे थे। जबकि कुंआ जल संरक्षण के लिए सर्वोत्तम उपाए भी है।

मायने यह नहीं रखता कि कुएं से प्यास कितने लोगों की बुझती है। मायने यह रखता है कि कुंआ जल संरक्षण बड़ा साधन है। प्रेस क्लब अध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में जल अभियान और जल संरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। जिसके लिए बारामासी जागरूकता अभियान चलाने की भी आवश्यकता है। चूंकि जल अभियान के माध्यम से पेयजल और कृषिजल उपलब्ध कराकर नागरिक समृद्धता की यात्रा जारी रहे और कृष्णा कोल जैसे लोग समाज के लिए उदाहरण हैं।