प्रेम मे स्पंदन और तस्वीर की कविताएं.

@Saurabh Dwivedi

स्पंदन

एक रोज
महसूस हुआ

तस्वीर से
प्रेम नहीं होता है

जिस तस्वीर से
प्रेम होता है

जिस तस्वीर से
हम प्रेम करते हैं

असल मे
वो तस्वीर
हमारी आत्मा होती है

हम आत्मा से
प्रेम कर रहे होते हैं
तस्वीर महज
एक माध्यम होती है
स्पंदन का ….

तुम्हारा ” सखा “

प्रतिध्वनि

मैंने
ध्वनि दी
उसको प्रेम की

हमेशा
प्रतिपल
आने वाली
श्वांस से

कंठ संग अधर से
तरंगित कर दी
प्रेम ध्वनि

संक्षिप्त में
पलकें बंद होने की तरह
बुदबुदाया ” आय लव यू ” ।

प्रतीक्षा में
उसकी प्रतिध्वनि के …..

तुम्हारा ” सखा “

{ कृपया कृष्ण धाम ट्रस्ट के ” सोशल केयर फंड ” में 100, 200, 500 और 1000 Rs. तक ऐच्छिक राशि का सहयोग कर शोध परक लेखन / पत्रकारिता के लिए दान करें।
Saurabh Chandra Dwivedi
Google pay ( mob. ) – 8948785050
Union bank A/c – 592902010006061
Ifsc – UBIN0559296
MICR – 559026296
Karwi Chitrakoot }