प्रतापगढ़ की ‘प्रतिभा’ ने चित्रकूट में दिखाए तेवर, महिला सशक्तिकरण और न्याय को लेकर अधिकारियों को दी सख्त हिदायतें

प्रतापगढ़ की ‘प्रतिभा’ के चित्रकूट में दिखे ये तेवर चर्चा का विषय बन गए हैं। उनकी कार्यशैली यह स्पष्ट संकेत देती है कि महिला आयोग अब कागज़ी संस्था नहीं, बल्कि नारी न्याय और अधिकारों की ज़मीनी लड़ाई का सक्रिय मंच बनता जा रहा है।

चित्रकूट : उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रतिभा कुशवाहा का चित्रकूट दौरा औपचारिकता से परे, महिला अधिकारों की बुलंद आवाज़ बनकर सामने आया।

प्रतापगढ़ जनपद से ताल्लुक रखने वाली श्रीमती कुशवाहा ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान अपनी सख्त कार्यशैली का परिचय देते हुए महिला कल्याण योजनाओं के ज़मीनी क्रियान्वयन को लेकर दो टूक शब्दों में बात की।

उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि “महिला संबंधित योजनाओं का लाभ केवल कागज़ों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए। यदि महिलाओं को समय पर न्याय और योजनाओं का लाभ मिल जाए, तो उनका जीवन न केवल आसान होगा, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मज़बूती से बढ़ेगा।”

श्रीमती कुशवाहा ने महिला सुरक्षा, घरेलू हिंसा, बाल विवाह और लैंगिक भेदभाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की और इन पर शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा। उनका स्पष्ट संदेश था कि “महिलाओं की आवाज़ को अनसुना करने की संस्कृति अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन को संवेदनशील और परिणाममुखी दृष्टिकोण अपनाना होगा।”

इस दौरान उनकी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी से विशेष मुलाकात भी हुई, जिसमें नारी सशक्तिकरण, महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर विस्तृत विमर्श हुआ। दोनों ने मिलकर ज़मीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं की पहुंच को सुनिश्चित करने पर बल दिया।

दौरे के दौरान उन्होंने स्थानीय महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी संवाद किया। कुछ मामलों में मौके पर ही उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए, जिससे ग्रामीण महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ।

प्रतापगढ़ की ‘प्रतिभा’ के चित्रकूट में दिखे ये तेवर चर्चा का विषय बन गए हैं। उनकी कार्यशैली यह स्पष्ट संकेत देती है कि महिला आयोग अब कागज़ी संस्था नहीं, बल्कि नारी न्याय और अधिकारों की ज़मीनी लड़ाई का सक्रिय मंच बनता जा रहा है।

” सौरभ द्विवेदी वरिष्ठ पत्रकार, विश्लेषक और ‘सत्य भारत’ के लेखक हैं। दो दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय सौरभ सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों पर बेबाक लेखन के लिए जाने जाते हैं। “