शशांक बने सफल बिजनेसमैन जानिए सफलता की कहानी उनकी जुबानी.

राजस्थान मार्बल बेड़ी पुलिया चित्रकूट

चित्रकूट के युवा अब व्यवसाय मे कीर्तिमान स्थापित करने लगे हैं। वह चित्रकूट की पहचान बन रहे हैं। एक नए चित्रकूट की पहचान कर्मशील युवा बना रहे हैं , यही चित्रकूट के कर्मठ और सक्रिय युवा हैं। एक ऐसे ही युवा व्यापारी शशांक मिश्रा से हम मिलवा रहे आपको पेश है उनसे बातचीत के खास अंश।

सर्वप्रथम शशांक मिश्रा सफलता का समस्त श्रेय अपने पिता दिनेश मिश्रा को प्रदान करते हैं। वह अत्यंत भावुक होकर कहते हैं कि पिता वटवृक्ष की तरह होता है। जिस समय एजेंट का विश्वास नही किया जाता और डाकघर से लाखों के गबन का मामला एक एजेंट के द्वारा सामने आता है वहीं मेरे पिता ने डाकघर से एजेंट के रूप मे शुरूआत की थी। जिन लोगों ने पैसा दिया सबको ये विश्वास रहता था कि उनका पैसा सुरक्षित है जबकि पहले डाकघर कम विश्वसनीय माना जाता था। यह विश्वास की वह सफलता है जो आज राजस्थान मार्बल के रूप मे सभी के सामने है।

शशांक बेहद मृदुभाषी हैं , मिलनसार हैं। एक बिजनेसमैन का जैसा लुकिंग गुड होना चाहिए वह शशांक मे साफ झलकता है। उनका सेंस आफ ह्यूमर कमाल का है।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं राजस्थान मार्बल के प्रो. शशांक मिश्रा की जो अब एक नए विशाल शोरूम का शुभारंभ कर रहे हैं। एक ऐसा शोरूम जो खासतौर से महानगरों मे देखने को मिलता है लेकिन अब उससे भी ज्यादा खूबसूरत शोरूम शशांक ने अपने दिल – दिमाग से चित्रकूट मे बना डाला है।

एक खूबसूरत शोरूम से भी अधिक खास बात यह है कि शशांक मे बिजनेसमैन के सभी गुण मौजूद नजर आते हैं। जैसे कस्टमर्स को स्नेह से पेश आना और चीजों की गुणवत्ता के बारे मे स्पष्ट बात करना। क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना और मूल्य इतना उचित कि वह सिर्फ और सिर्फ राजस्थान मार्बल मे ही संभव नजर आता है।

यही सब विशेष कारक हैं कि अपने कुछ वर्षों की मेहनत से ही शशांक ने विशाल शोरूम बनाकर चित्रकूट की आकाशीय शोभा में ध्रुव तारा जैसा चमकता – दमकता शोरूम टांक दिया है। इस शोरूम मे पहुंचते ही जो सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है सचमुच वही सकारात्मक ऊर्जा लोगों के घरों मे मार्बल के रूप मे जब पहुंचेगी तब सभी ग्राहक के घर मे भी सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा और पहले से भी अधिक समृद्धशाली होंगे।

इसलिए शशांक ने सभी को श्रीमद्भागवत मे स्नेह आमंत्रण भी दिया जिससे जनपदवासी इस नवीन शोरूम के शुभारंभ के साक्षी बन सकें. कथा के व्यास श्री श्री 1008 श्री बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज हैं और मुख्य यजमान दिनेश मिश्रा हैं।