रेप , मर्डर एंड पालिटिक्स के मामले मे विधायक अनिल प्रधान की नेतागिरी पर लगेगा फुलस्टाॅप !
मानवीय समाज के संवेदनशील मामले मे राजनीति का चाकू कलींदे के जैसे कब पलटकर खुद के पेट मे घुस जाए , यह समय बताता है। ऐसे ही हालात मे सदर विधायक अनिल प्रधान इन दिनों नजर आ रहे हैं तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी सकते मे आ जाएंगे।
मामले से सिर्फ चित्रकूट नही बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश वाकिफ है कि कैसे चित्रकूट मे रेप की घटना घटी और गांव दारी के मामले मे राजनीतिक घुसपैठ हुई। उस वक्त विधायक अनिल प्रधान फीलिंग हीरो कर रहे थे और भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेकर अखिलेश यादव को प्रसन्न कर रहे थे।
लड़की दलित समाज से होने के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी राजमहल से ट्विट कर दिया था तो मामला और गरमा गया और आरोपियों मे एक आरोपी इत्तेफाकन जाति से ब्राह्मण था। इसलिए भी दलित समाज की राजनीति करने वाले और अधिक गरमा – गरमी कर दिए थे।
विधायक और जिले की पंचायत की सदस्य मीरा भारती की सक्रियता मे विपुल मिश्रा सबसे ज्यादा निशाने पर थे तो मुख्य आरोपी नदीम का नाम बहुत कम लोग आज भी जानते होंगे। रेप एंड पालिटिक्स के मामले मे विपुल मिश्रा पर बलात्कार और हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया।
किन्तु प्रकरण की जांच चल रही थी तो करीब एक साल बाद यह स्पष्ट हो सका कि पीड़िता की हत्या गला दबाकर हुई जिसमे मां , पिता और नाना को पुलिस ने आरोपी बनाकर जेल भेजा है और इससे विपुल मिश्रा के निर्दोष होने के चांस नजर आ रहे हैं जो अंततः अदालत निर्णय देगी।
चूंकि विपुल पर रेप एवं हत्या मे सहयोगी होने का आरोप लगा था। बताते हैं विपुल ने जानकारी के अभाव मे दवा कराने के लिए मानवीय कर्तव्य की अदायगी की थी तो उनकी गाड़ी के प्रयोग होने एवं इत्ती सी मौजूदगी ने आरोपी बना दिया था।
और यह सब करके विधायक अनिल प्रधान खुद को खुदा जैसा नायक समझ रहे थे जो अब उन्हें खलनायक सिद्ध कर रहा है और जनता इस तरह की विधायिकी से डर रही है कि यह तो दस्युओं से ज्यादा खतरनाक तरीके की विधायिकी है चूंकि विधायक की वजह से एक पत्नी अपने पति के बगैर तब रही जब विपुल मिश्रा जेल मे थे , वह पत्नी घर – परिवार मे नजरे नीचे गड़ाकर रही और स्वाभिमान से समझौता कर जीवन जीती रही जाने कितनी बार विपुल की वाइफ हताश हुई फिर भी निर्दोष साबित होने के इंतजार मे जीवन जीती रही तो क्या विधायक उनकी पत्नी से माफी मांगेंगे ?
विपुल के समस्त परिजन गांव मे आत्मसम्मान खो कर जी रहे थे। उनके आत्मसम्मान को मारने मे विधायक अनिल प्रधान की राजनीति आज दोषी सिद्ध हो रही है।
पालिटिकल गैलरी मे राजनीति की इस करतूत की चर्चा तेज रफ्तार से हो रही है कि जनपद का पहला ऐसा विधायक है जिसने शीघ्रपतन की तरह विश्वास खो दिया है। कम से कम वो ब्राह्मण आज अफसोस कर रहे हैं जो पूर्व विधायक चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय से गुस्साए थे और अनिल प्रधान को वोट किए थे। अब समाज का व्यापारी वर्ग और बुद्धिजीवी तबका विचार कर रहा है कि भविष्य मे राजनीति कैसी होनी चाहिए।
इस पूरे प्रकरण से अनिल प्रधान की राजनीति मे फुलस्टाॅप लगने के चांस बढ़े हैं चूंकि गांवदारी के मामले मे विधायक ने मिशनरी पालिटिक्स को अंजाम दिया था जिससे सदर विधानसभा मे दस्युओं से ज्यादा लोग अब इस तरह की राजनीति से खौफ खा रहे हैं तो कयास लगाए जा रहे हैं कि रेप एंड पालिटिक्स के मामले मे विधायक अनिल प्रधान की नेतागिरी मे फुलस्टाॅप लगेगा।