सेवा पर सवाल क्यों ? एस. सी. गर्ग पर सवाल क्यों ?

By :- Saurabh Dwivedi

बड़े सौभाग्य की बात होती है कि कोई जिंदगी मे आए और जीवन को सुख प्रदान कर जाए। जहाँ एक ओर लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के जाल मे फंस चुके हैं और गरीब – असहाय की जिंदगी पहले से भी बदतर हुई है। वहाँ कोई शख्स – शख्सियत गरीब – असहाय की मदद के लिए आगे आए तो उसकी सेवा पर एकमुश्त सवाल खड़े किए जाने लगते हैं ! ये सवाल आम जन के दुर्भाग्य का बड़ा कारण बन सकते हैं।

एक शख्सियत एस. सी. गर्ग के रूप में प्रदेश के सबसे पिछड़े जिले के अति गरीब भूभाग में मदद करती हुई दिखी है। कोरोना संकट के समय इनकी भूमिका राष्ट्र और समाज की सेवा में उभरकर सामने आई है , अपितु इससे पूर्व वर्षों से सेवा की मनमोहक तस्वीर आत्मसुख प्रदान करती रही हैं।

जहाँ एक ओर लोगों के मन से मदद का भाव खत्म हुआ हो और सामाजिक सृजन के लिए कोई आगे नहीं आता। एक ऐसे नेतृत्व का अभाव हुआ है जो लंबे समय तक सामाजिक सोच में परिवर्तन लाकर सामाजिक सृजन का बड़ा काम कर सके। यह एक महायज्ञ की भांति है , जो युवाओं और समाज की सोच मे सकारात्मक परिवर्तन ला सके।

ऐसे समय में सूर्योदय की भांति एस. सी.  गर्ग जैसी सामाजिक शख्सियत बुंदेलखण्ड के चित्रकूट में नजर आती है। उनकी पहल से समाज के लिए काम करने की सोच रखने वाले युवा मन में उम्मीद की मशाल जल उठती है , ऐसा लगता है कि कोई सामाजिक पिता नजर आ रहा है। जिनकी छत्रछाया में गांव के युवाओं की सोच को विस्तार दिया जा सकता है और गांव – गरीब की सोच मे परिवर्तन लाकर समृद्धि का द्वार खोला जा सकता है।

उनकी मदद से मानिकपुर के पाठा क्षेत्र में गरीबों का बड़ा सुख मिला। ठंड के दिनों में कंबल बांटने वाले शख्स के रूप में देखे गए और वस्त्र आदि बांटकर तन ढकने का भी प्रबंध करते नजर आए।

ऐसे सामाजिक काम पर भी अनेक लोगों ने निजी राजनीतिक कारणों से बेजा सवाल खड़े किए ! सेवा पर सवाल खड़ा करने का मतलब यही है कि आप सेवा भाव का कत्ल कर देना चाहते हैं। जबकि यह सच है कि जो लोग सेवा करना चाहते हैं , वे सवाल खड़े होने के बाद भी लगातार सेवा करते हैं।

यह बड़ी खुशी की बात है कि इक्कीसवीं सदी में कोई शख्सियत सेवा के उदाहरण के रूप मे जानी जाएगी , जिससे प्रेरणा प्राप्त कर एक लंबे समय तक लोग सेवा के क्षेत्र मे हृदय से उतर सकेंगे।

मदद के साथ समूचे चित्रकूट में सर्वप्रथम मानसिक सोच में बदलाव लाने की भी बड़ी आवश्यकता है कि गरीब – मजदूर भी कमाए हुए धन से समृद्ध होने के नुस्खे सीख सके। उसकी सोच इतनी समृद्ध हो कि वह अपने जीवन के साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि के द्वार खोल जाए।

एक अच्छे नेतृत्व का चुनाव भी अच्छी सोच से होता है तो आर्थिक सामाजिक मदद के साथ गांव की सोच , युवाओं की सोच प्रकृति – पर्यावरण और सामाजिक वातावरण के प्रति उत्तम होनी चाहिए। यह एक काम समाज में होना बहुत आवश्यक है।

एस. सी. गर्ग जैसी शख्सियत की सेवा पर सवाल खड़े करने से बेहतर होगा की सेवा की सोच को ताकत प्रदान की जाए और उनके साथ खड़े होकर मानव सेवा कर महापुरूषों के वचनों को साकार किया जाए। इसी में देश और समाज की भलाई है।

आपके सहयोग से सामाजिक चिंतन

बड़े सौभाग्य से वनवासी राम चित्रकूट आए थे और चित्रकूट के अंदर आध्यात्मिक चरित्र को सदा सदा के लिए अमर कर दिए थे। अतः कलयुग में यदि कोई इंसान सेवा के लिए चित्रकूट मे आया है तो वह मदद के भाव को अमर कर जाएगा , अच्छी बात है कि हमारे समाज मे एक ऐसा उदाहरण रहेगा कि कोई ऐसी मदद कर रहा था।

विकृत मानसिकता से अच्छी सात्विक मानसिकता हमेशा से अच्छी रही है। ऐसी सात्विक मानसिकता के स्वामी एस. सी. गर्ग का हृदय से स्वागत होना चाहिए जो समाज की सोच में परिवर्तन लाने का बड़ा उदाहरण हैं और भविष्य में ऐसा ही होने की प्रबल संभावना है। चिंता के समय में जो चिंता की चिता जला दे , वह किसी देव से कम नहीं और एक मानव रूपी देव हुआ।

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[ Saurabh chandra Dwivedi
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