कविता : कुछ छोड़ दिए गए प्रेमी .

@Nidhi nitya

वो कुछ छोड़ दिए गए प्रेमी
जिन्होंने अपनी प्रेमिकाओं को
प्रेम का अर्थ समझाया और
कर दिया सराबोर
उनकी आत्मा को प्रेम से
जिन्होंने लहकाया प्रेमिकाओं को
नर्म अधरों के स्पर्श से और
डूबो दिया स्वयं को
प्रेमिका की मधुर मुस्कानों में

वो कुछ छोड़ दिए गए प्रेमी
जो कुछ नहीं हुआ है कहकर
माँ से छुपा लेते हैं आँख के आँसू
और सब ठीक है कहकर
दोस्तों से किनारा कर जाते हैं
वो छोड़ दिये जाने के बाद भी
घुलते रहते हैं धीरे-धीरे प्रेमिका के
स्पर्श की ऊष्मा में अनजाने ही

वो कुछ प्रेमी
जो प्रेमिका के तन की खुशबू
उसके झुमकों की चमक
पायल की खनक और
बिंदिया के रंग को
लिए फिरते हैं अपनी स्मृतियों में और
एकांत पाते ही रंग जाते हैं बार-बार
बीते प्रेम के सुनहरे रंगों में

वो कुछ छोड़ दिये गए प्रेमी
जो कभी छोड़ नहीं पाते प्रेम को
और जीते रहते हैं उसे पत्नी के स्पर्श में भी
महसूसते हैं उसके रोमांच को
नयी नवेली पत्नी की बांहों में भी
और अक्सर किसी अंतरंग पल में
अनायास ही निकल गए
प्रेमिका के नाम को
छुपा लेते हैं अपनी खराश में
और प्रेमिका के नाम की गरिमा को
ईश्वर बना देते हैं

मैं इंतज़ार करती हूँ
उन छोड़ दिये गए प्रेमियों का
कि दे सकूँ एक स्नेह भरा चुम्बन
उनके माथे पर और देख सकूँ
उनकी आंखों में उनकी
उस प्रेमिका का नाम
जो उनको छोड़कर जा चुकी है।