जिन्ना की तस्वीर पर संघर्ष की वास्तविक वजह.
दीदी ; जीजा से कह दो हमारी नौकरी बचा लें। सूर्यास्त के वक्त ऐसी ही फरियाद दरवाजे से सुनी तो जिज्ञासा हुई कि आखिर कौन हैं , जो मम्मी के पास ऐसी फरियाद करने आए हैं ?
मालूम करने पर पता चला कि तनवीर अंकल हैं , जो मम्मी को दीदी और पापा को जीजा कहते हैं। किसी जांच पर उनकी नौकरी पर आंच आ रही थी। मेरा उनसे पहला आमने-सामने का परिचय था।
इस बीच यूपीए2 शासनकाल के दौरान पुणे में रहा। खबर मिली थी कि असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ा जा रहा है। तमाम आतंकियों को स्थानीय निवासियों द्वारा मौत के घाट भी उतारा गया।
मैं हमेशा की तरह कोढ़वा खुर्द की तरफ चलते हुए एनआईबीएम स्थित ज्योति रेस्टोरेंट के पास पहुंचा फिर कोरिएंथम क्लब की तरफ आगे बढ़ा था। इस बीच चप्पे चप्पे पर पुलिस पहले से अधिक दिखी।
एक मित्र से पूछा कि इतनी पुलिस क्यों लगी है ? जवाब मिला कि असम के लोगों को मुस्लिम मार रहे हैं। उनकी रक्षा के लिए पुलिस लगी हुई है और असम के लोग पुणे छोड़कर जा रहे हैं। यहाँ तक की ट्रेन का टिकट लेने की भी जरूरत नहीं है।
पुणे से वापस आने के बाद टहलते हुए ब्लाक पहाड़ी पहुंचा तो तनवीर मामू को सला…वाले कुम कहा तो प्रतिउत्तर मिला ” जय श्रीराम ” भांजे। हम दोनो के होठो पर मुस्कान बिखर चुकी थी।
मामू से बात करते हुए सवाल किया कि एक बात बताओ। असम के निवासियों ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ा और जान से भी आतंकियों को मार दिया , किन्तु यह समझ में नहीं आया कि पुणे में भारतीय मुस्लिमों द्वारा असम के लोगों को क्यों पीटा जा रहा था ? असम के लोगों को पुणे छोड़ने हेतु क्यों मजबूर होना पड़ रहा था ?
सुनिए तनवीर मामू का जवाब यह था कि भांजे कुरान में लिखा है कि विश्व के किसी भी कोने में रहने वाला मुसलमान हमारा भाई है , इस्लाम पूरी दुनिया में एक था और एक ही रहेगा। मैने जोर देकर कहा कि वो आतंकी थे और भटके हुए लोग हैं , जो इंसानियत के दुश्मन बन चुके हैं फिर भी उनका पक्ष लेंगे ? मामू का एक ही जवाब था कि राजनीति कुछ भी कहे और कहलाए हम तो इस्लाम जानते हैं।
बड़ी सरल सी थ्योरी है , समझिए जिन्ना पाकिस्तान में रहे या भारत में रहें अथवा विश्व के किसी कोने में वे मुसलमान हैं , बेशक जिन्ना का व्यक्तिगत जीवन अख्खड़ प्रकार का रहा हो किन्तु जिन्ना ने मुस्लिम नेतृत्व को लेकर ही तत्कालीन कथित हिन्दूवादी कांग्रेस पार्टी व नेहरू-गांधी की असफल कूटनीति का उस वक्त लाभ उठाया।
जब ब्रिटिश मंत्रिमंडल से राष्ट्रवादी कांग्रेसी मंत्रियों ने इस्तीफा दिया तो जिन्ना का सपना साकार होने लगा और अंग्रेजों की युद्धनीति के हित में मुस्लिम और पाकिस्तान के सहयोग का विश्वास दिलाकर पाकिस्तान बनाने की मंशा कारगर कर ली।
इसलिये जिन्ना की तस्वीर दीवार से हटाओ या ना हटाओ दिलों से कैसे हटाओगे ? आज प्रश्न जिन्ना की तस्वीर को लेकर हुआ तो वह सावरकर व गोवलकर की बात करने लगे , जबकि बड़ा सरल सा काम था कि जिन्ना की तस्वीर एक झटके में चूर चूर कर दी जाती या ससम्मान श्रृंगार सहित पाकिस्तान भेज दी जाती कि लीजिए संभालिए अपनी धरोहर , बड़ी इज्जत से हमने अब तक संभाला है।
एक वर्ग कुरान पढ़े ना पढ़े परंतु तनवीर मामू की सरल सी थ्योरी अवश्य समझ लें कि राजनीति में कहीं कोई कुछ भी कहे अंतिम सत्य यही है कि विश्व भर का मुस्लिम सिर्फ मुस्लिम होता है। वह बांग्लादेश का हो या पाकिस्तान का फिर जिन्ना तो मरने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों जगह पर जिंदा हैं। इसलिए फेमस भारतीय मुस्लिम सानिया मिर्जा से लेकर सामान्य मुस्लिमों ने पाकिस्तान में शादियां भी रचाई हैं।
वजह सिर्फ इतनी सी है कि जयचंद की आत्मा छद्म धर्म निरपेक्ष लोगों की आत्मा में अंश अंश समाकर वंश आगे बढ़ा रही है। इसलिये आतंकवाद से लेकर जिन्ना तक को डिफेंड किया जाएगा , बस अभी बचे इतने हैं कि हिन्दू आतंकवाद परिभाषित नहीं हो सका वरना शिंदे से लेकर चिदंबरम आदि ने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी तैयार कर ली थी।
कुलमिलाकर भारत और भारतीयता को बचाने के साथ-साथ लोगों को इतिहास से वर्तमान परिप्रेक्ष्य को समझना होगा। इतिहास सिर्फ रटने व रटकर रट्टू तोता की तरह दुहराने के लिए नहीं होता बल्कि इतिहास पढ़कर वर्तमान के हालात से नए विचारों को जन्म देने के लिए होता है।