अवचेतन मन और चेतन मन का रहस्य.

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एक कहावत है कि ज्ञान सुबह सुबह प्राप्त होता है। यह भी कहते हैं कि ज्ञान ध्यान लगाने से प्राप्त होता है। बुद्ध ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त किया था। लेकिन आज मैं आप सभी से ढलती शाम और बाइक पर बैठकर प्राप्त ज्ञान साझा कर रहा हूं।

इस घटना से आपको चेतन(भौतिक मन) और अवचेतन मन( प्राकृतिक मन) की बात आसानी से समझ मे आ जायेगी। जिसका सबके जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

कल शाम को मैं जब घर आ रहा था तब मेरे ही घर के पास कहीं से एक कछुआ सडक पर आ गया था। ये तो बाद मे पहचाना था कि कछुआ है वरना पहले उसकी गर्दन पर ही नजर पडी थी। मन से हल्का भयभीत हुआ था। जब समझ मे आया कछुआ है तब बाइक रोक दी थी।

मेरे एक मन से आवाज आई कि सुना है कछुए की पीठ बहुत मजबूत होती है। कछुए की पीठ उसकी रक्षा कवच होती है। क्यूं न बाइक चढाकर प्रयोग कर लिया जाये ?

यह बहुत भ्रामक विचार था। जिसमे संभव था कि कछुए की मौत हो जाती और सबूत व गवाहों और चश्मदीद के अभाव में मुझ पर कोई मुकदमा पंजीकृत भी न होता। ये तो सलमान पर काले हिरण और पटरी पर बैठे लोगों को जान से मारने का मुकदमा पंजीकृत हो गया और वे किस कदर बच गये। सारा भारत जानता है।

मेरे भौतिक मन से एक आवाज तो आयी थी लेकिन हमारे अंदर अवचेतन मन भी होता है। अगर अवचेतन मन को एक प्रतिशत भी जागृत कर के रखा है। उसे विचारों का दाना पानी डालते रहे तो वो हमें अपराध और पाप से बचा लेता है।

अंतस से एक आवाज और आयी कि सौरभ ऐसा प्रयोग क्यूं करना जिसमें “जीव हत्या” हो जाये ? बेशक तुम्हे कोई नही देख सकता। बेशक ये मरे या जिये किसी को क्या फर्क पडेगा लेकिन हकीकत में अगर ये मर गया तो अंदर ही अंदर मैं घुटूंगा कि मुझसे एक अपराध हो गया, एक पाप हो गया।

सच हमारे अंदर एक बुरा मन और एक अच्छा मन होता है। आप जिसको अधिक भाव देगें वही आपको चलायेगा। जीवन में संघर्ष हो सकता है, वक्त बुरा हो सकता है परंतु मन बुरा नही होना चाहिए। अगर हमारा मन अच्छा है तो सचमुच अंतस से हम खुश रहेगें। वरना जो अपराध करते हैं। वे सांसारिक अदालत से बच सकते हैं परंतु मन की अदालत में वे सदैव हारते रहेगें और कोई देखे न देखे सर्वशक्तिमान ईश्वर सबकुछ देखता है।

इसलिये मैं बाइक बगल से निकालकर चलने लगा तब देखा भी कि वो जीव भय को भांपते हुए कैसे अपनी जान बचाने के लिये गर्दन और पंजे अंदर की ओर खींच ले गया। अपनी जान सबको प्यारी होती है और जीव की जान लेने वाले “बुरे मन” के कब्जे मे होते हैं। ऐसे लोग अंतस से खुशियां कभी महसूस नहीं कर सकते भले उनकी बाहरी दुनिया कितनी ही चमत्कारिक व प्रभावशाली क्यूं न हो !

अतएव हम सभी को अवचेतन मन को जागृत रखना होगा। थोडा सा वक्त स्वयं से बात करने को दीजिये। यकीन मानिये चमत्कारिक प्रभाव महसूस होगा। हमारे अंदर ही शक्ति और कमजोरी छुपी हुई है। फैसला आपको करना है कि आपको “शक्तिमान” बनना है या “किल्विश”।