तुम्हारे सिवाय कोई और खूबसूरत नजर नहीं आती।
By :- Saurabh Dwivedi
एक खूबसूरत तराना हो। बिल्कुल ऐसी ही महसूस होती हो। प्रेम में होना असाधारण महसूस होना होता है। एक गहरा प्रेम सौंदर्य की वास्तविक परिभाषा से रूबरू कराता है। हाँ बात खूबसूरती की है तो सचमुच एक गहरा प्रेम सौंदर्यबोध करा देता है। जब सौंदर्य का अहसास सर्वोत्तम हो जाता है तब इक तेरे सिवाय कोई खूबसूरती और भाती नहीं।
सच कहूँ ये प्रेम का अहसास है कि तुम्हारे सौंदर्य का ऐसा बोध हुआ कि दुनिया की हर खूबसूरती स्वयं के लिए खूबसूरत होगी पर मैं तुझ सी खूबसूरत नहीं कह सकता। यह हिम्मत मुझ में यूं आई कि आत्मा का प्रेम कल्पना मे ही सही महसूस किया।
वरना जानती हो कि और भी खूबसूरत हैं जिनकी खूबसूरती किसी के लिए मायने रखती होगी। दूसरी प्रमुख बात तुम जानती हो कि कटु सत्य है कुछ पुरूष ऐसे होते हैं कि तनिक सी खूबसूरत दिखी तो उनका इमान डोल जाता है ! यही वजह है कि अक्सर प्रेम पर शक जन्म लिया करता है ?
हाँ शक जन्म लेता है। एक औरत शक करती है और एक पुरूष भी। चूंकि दोनों कहीं ना कहीं यदाकदा विचार करते हैं कि कोई और में रूचि तो नहीं बढ़ गई ? ऐसा समय के साथ होता है और मैं औरतों का नहीं कह सकता पर पुरूष कुछ ऐसे होते हैं कि अक्सर बदजुबानी करते हैं , किसी के भी साथ स्वप्न साकार करने को सोचते हैं कम से कम ! संभव हो या ना हो। असंभव ही सही कल्पना कर लेते हैं।
देखो अपनी बात कहने के लिए कुछ आधार बनाना पड़ा कि भरोसा दिलाना है। असल मे मैं जिस काल्पनिक अलौकिक प्रेम की बात कर रहा हूँ , उसकी समझ मुझे भी नहीं थी। हाँ प्रेम बेशक जानता था। सच कहूँ कि मेरी भी दृष्टि लड़कियों को लेकर जिस्मानी हुआ करती थी , एक समय पर।
ये अलौकिक प्रेम ही तो है जो देह से परे प्रेम का अहसास दिला देता है। अरे देह से परे का मतलब ये नहीं कि कभी स्पर्श नहीं किया देह को तुम्हारे ! स्पर्श किया है अहसास ही अहसास में , पलकों में स्पर्श का अहसास उतर आया। हृदय से स्नेहिल सुख की भावनाएं उमड़ आईं। सम्पूर्ण सुख महसूस किया।
किन्तु देह से परे का मतलब है कि बेशक तुम्हारी देह ना मिले पर तुम्हारे संग होने का अहसास प्रेम को बनाए रखता है। मैं कभी छोड़कर जाने की कल्पना नहीं कर सकता , तुम दुत्कार दो तब भी !
देख लो तुम बहुत दूर चली गई अपनी तरफ से , मैंने महसूस किया कि हम बहुत दूर हैं एक-दूसरे से। यहाँ मैं तन्हा महसूस करता हूँ। सीने में जहाँ तुम्हारा वास है वहाँ मीठे से दर्द का एहसास है। बेशक तुम दूर महसूस कर रही हो और मैं तुम्हारे अहसास में अकेलेपन का शिकार और बस अंतस में रिसते आंसू।
किन्तु मैं इन अहसास से दूरी कैसे बना लूं ? कल्पनाओं में महसूस कर तुम्हे खत लिखना अलौकिक प्रेम है। अरे जानती हो ना कि टीवी पर एक खूबसूरत चेहरा देखा , देखो झूंठ नहीं बोलूंगा कि खूबसूरत नहीं थी। चूंकि उसे कोई भी देखेगा तो खूबसूरत कहेगा और मैं उसे देखकर मुस्कुराया चूंकि मन मे आया कि ये खूबसूरत हो सकती है पर तुम सी खूबसूरत नहीं है।
जानती हो ऐसा क्यों आया मन मे ? असल में खूबसूरती किसी की कम ज्यादा नहीं होती। बेशक कोई ज्यादा – कम समझता है , यह उसकी समझ और कमी है। पर हकीकत में खूबसूरती महसूस करने की बात है।
मेरी आत्मा से आत्मा महसूस हुई। तुम्हारी खूबसूरती उतरती चली गई। मेरे हृदय में तुम्हारे सौंदर्य का आभामंडल बढ़ता चला गया। जैसे धूप का धुंआ ऊपर की ओर उठता है। वह एक सीधे मार्ग से ऊपर की ओर चढ़ता है , बेशक हवाएं उसको हिलाती डुलाती हैं , तोड़ने का प्रयास करती हैं पर उसमे इतनी लचक होती है कि हवा स्पर्श कर निकल जाती है , वह फिर आसमान की ओर यात्रा करता है। ऐसे ही तुम्हारी खूबसूरती मुझ पर रमती चली गई।
इसलिये कोई और चेहरा देख लूं तो सिर्फ देखूंगा। महसूस नहीं करूंगा और तुम्हे देखता हूँ तुम्हारी पनीली कजरारी आंखो में उतरकर मन में समाता हूँ और स्वयं मे समा लेता हूँ। इसलिये मन किया कि कहूँ ” तुम सी कोई खूबसूरत नहीं है “।
खूबसूरती बड़ी देखी
जमाने में
पर तुम सी
कोई खूबसूरत नहीं है।
तुम्हारे अधरों की मुस्कान
मन में बसाई है
वो स्वयं ही उतरती चली गई
जैसे गिलास में शर्बत
और मैं गटक जाऊं
एक धार से
बिना रूके
एक गहरे अहसास में
गहरी साँस से बसा लूं
हाँ यही खूबसूरती है
हाँ यही सम्पूर्णता है
प्रेम की …..
तुम्हारा ” सखा “