यूनिवर्स कब कैसे किसको कहाँ मिला दे ये मुलाकात होने पर पता चलता है : सौरभ द्विवेदी

इतनी सारी भूमिका बनाकर यह कहना था कि फेसबुक पर एक मीता गुप्ता हैं जो आर्ट आफ लिविंग की टीचर हैं और लखनऊ उनका निवास है। जिनके टू लाइनर मुझे अक्सर पसंद आते थे और जिंदगी मे उलझन के समय उनके शब्द और तस्वीरें जीवन जीने का जज़्बा पैदा कर देते !

सृष्टि मे अकारण कुछ भी नही है सबका अपना अर्थ है। यहाँ सब अजनबी हैं या जान पहचान वाले हैं। आभासी दुनिया के लोग आमने सामने जब मिलते हैं वे किस्सा कहानी बनकर सामने आते हैं।

सोशल मीडिया के ट्विटर और यूट्यूब से अलग फेसबुक एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ लोग वाकई मे घुल-मिल जाते हैं , कुछ रिश्ते बन जाते हैं तो कुछ बनकर टूट भी जाते हैं।

फेसबुक पर तस्वीर दिखती है , नाम के मुताबिक फेस दिखता है और आदमी एक बुक के रूप मे सामने आ दिखता है। हर आदमी हो या औरत एक किताब ही है , सबकी जिंदगी एक कहानी है जिनमे कुछ सामने आ जाती हैं और बहुत सी कहानियाँ दफ्न रहती हैं।

फेसबुक पर फेस देखकर अक्सर किसी से मिलने का मन हो सकता है। जैसे आपने फेसबुक पर किसी को देखते ही अपनत्व की फीलिंग्स आएं तो लगे कि इनसे मुलाकात होनी चाहिए लेकिन हर मुलाकात से पहले विश्वास का होना पहली शर्त है , खासतौर से एक वूमेन और मेन की मुलाकात हो या गर्ल एंड ब्वाय की ! फिर भी आभासी दुनिया से हकीकत की दुनिया मे मुलाकातें होती हैं।

तो इतनी सारी भूमिका बनाकर यह कहना था कि फेसबुक पर एक मीता गुप्ता हैं जो आर्ट आफ लिविंग की टीचर हैं और लखनऊ उनका निवास है। जिनके टू लाइनर मुझे अक्सर पसंद आते थे और जिंदगी मे उलझन के समय उनके शब्द और तस्वीरें जीवन जीने का जज़्बा पैदा कर देते !

यूं ही कभी मन मे आया था कि मुलाकात होनी चाहिए लेकिन कब , कैसे और कहाँ होगी ? यह सब बाद की बात थी मैं तो मुलाकात को कह भी नही सकता था लेकिन मुलाकात तो लिखी थी !

एक दिन मीता गुप्ता जी ने मैसेंजर पर कहा कि चित्रकूट घूमने मे कितने दिन लगेंगे ? मैने कहा कम से कम दो दिन लगेंगे तो वह बोलीं ठीक है , हम चित्रकूट आ रहे हैं।

मैंने भी उनका स्वागत कर दिया कि मुझे बहुत अच्छा लगेगा। जब वो चित्रकूट आईं तो मुलाकात रामघाट मे हुई , मंदाकिनी नदी का रामघाट जो चित्रकूट का हृदय कहा जाएगा जहाँ शाम के वक्त गंगा आरती और मत्तगजेन्द्रनाथ शिव बाबा की आरती मे शामिल होकर मन के सारे संताप / अवसाद नष्ट हो जाते हैं।

मुलाकात के समय मैंने कहा कि मिलने का मन होता था लेकिन ये मुलाकात चित्रकूट मे होगी यह भी पता नही था तो इतने मे मीता गुप्ता बोलने लगीं कि यूनिवर्स यूं ही मिला देता है तो यकीन हो चला कि सचमुच ब्रह्मांड नियम से काम करता है आप जो सोचते हो वो घट सकता है इसलिए ब्रह्मांड को हमेशा अच्छी सोच समझ और विचार की तरंगे दें तो आपके जीवन मे यूनिवर्स काम करेगा और सबकुछ अच्छा होगा।

मैंने मुलाकात मे मीता जी को हनुमान जी की कृपा से सुन्दरकाण्ड भेट की और आपने मुझे रूद्राक्ष का माला और प्रसाद भेट किया। यह एक यादगार मुलाकात रही जिससे माइंड मे क्लियर हो गया कि यूनिवर्स नियम से काम करता है आपके मन की इच्छा पूरी होती है , शर्त सिर्फ इतनी सी है कि तन मन और आत्मा से सही तरीके से आंतरिक ईच्छा प्रकट की गई हो।