देवी विसर्जन के रंग गुलाल से इस्लाम खतरे में क्यों ?
By – Saurabh Dwivedi
चित्रकूट गंगा जामुनी तहजीब के लिए अपनी अलग पहचान रखता है। किन्तु अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इस तहजीब में शनैः शनैः सांप्रदायिकता की बारूद घुलने लगी है। जिसकी गंध पूर्व के कुछ वाकयों से महसूस हुई लेकिन अभी हाल ही में देवी विसर्जन और मुहर्रम एक ही दिन होने की वजह से जो कुछ हुआ वो अत्यंत कष्टदायी व निंदनीय है। इस संबंध में एक लंबी व गहरी पड़ताल की जिसे यूपी की सत्ता और समाज की प्रतिष्ठा में जानकारी होना आवश्यक है।
रंग गुलाल से पटी हुई सड़क को मुहर्रम हेतु धुलवाया गया
कर्वी नगर की पुरानी बाजार में मुहर्रम की सवारी भी सड़क पर प्रदर्शन करती हैं। NH76 के इस मार्ग से ही हिन्दू “देवी विसर्जन” के लिए निकलते हैं। जिससे रंग गुलाल सड़क पर काफी मात्रा में श्रद्धालुओं द्वारा उड़ाया जाता है।
जिला प्रशासन ने नगरपालिका कर्वी द्वारा सड़क को पानी से धुलवा दिया। जिससे हिन्दू समाज के ही लोगों को कुठाराघात महसूस हुआ। इस संबंध में बीजेपी नेता हरिओम करवरिया ने ट्वीट किया था कि आज सपा शासन काल महसूस हुआ। यह हिन्दू धर्म का अपमान है।
रंग गुलाल से इस्लाम खतरे में
एक मुस्लिम नेता ने पक्ष अवश्य रखा कि गुलाल की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि सवारी को नाचने आदि में गुलाल उड़ने से दिक्कत होती है लेकिन वहीं बगल में बैठे एक सपा हिन्दू नेता ने आंख मारते हुए कहा कि अरे हमारे रंग गुलाल से इनकी सवारी अपवित्र हो जाती है।
बात सीधी सपाट स्पष्ट है कि तर्क कुछ भी दिया जाए, सपा शासनकाल के समय से ही कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसे अपनी नाक का सवाल बना लिया है। अन्यथा समीप के जिला बांदा में भी सवारी वहीं से निकलती है जहाँ से देवी विसर्जन हेतु निकलती हैं। कुल मिलाकर समय रहते ही शासन प्रशासन को चेतना होगा और स्पष्ट नियम कानून बनाने होंगे।
प्रशासन क्या कहता है ?
इस संबंध में जब हमारी एसडीएम कर्वी से बात हुई। उन्होंने कहा कि यह परंपरागत तरीके से हुआ है। जब पूंछा गया कि ये कैसी परंपरा है, उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी सड़क पानी से धुलवायी गई थी अर्थात बिना किसी शासन सत्ता के आदेशानुसार सदर एसडीएम सड़क धुलवाने को भी परंपरा शब्द का इस्तेमाल कर के जब जायज ठहराते हैं, यकीनन इसमें साजिश की बू आती है।
जबकि नगरपालिका ईओ नरेन्द्र नाथ मिश्र से जब इस संबंध में हमारी बात हुई। उन्होंने इस घटना को बहुत ही दुखद बताया। कहने लगे ऐसा नहीं होना चाहिए था। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी चित्रकूट को इस संदर्भ में प्राथमिक जानकारी ही नहीं थी, बल्कि पीस कमेटी की बैठक में सड़क धुलने जैसी बात का पुरजोर खंडन किया जा चुका था। फिर भी सदर एसडीएम द्वारा नगरपालिका को आदेश करके सड़क धुलवाने का यह मामला आग में घी डालने के समान था।
समाज क्या कहता है ?
हिन्दू और मुस्लिम दोनो पक्ष के बुद्धिजीवी वर्ग से चिंतन करने पर दोनो पक्ष ने सड़क धुलवाने को निंदनीय करार दिया। एक मुस्लिम बुद्धिजीवी ने यहाँ तक कहा कि सपा के एक युवा मुस्लिम नेता की आज भी चलती है एवं उसी के कहने पर सदर एसडीएम ने नगरपालिका को आदेशित किया। जिसमें सदर एसडीएम की भूमिका बड़ी संदिग्ध महसूस होती है। हालांकि विवाद से बचने के लिए नाम ना प्रकाशित करने की शर्त भी रखी।
वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक जाटव ने भी घटना की कड़ी निंदा की थी और प्रशासन से मामले को संज्ञान लेते हुए भविष्य में ऐसा ना होने की उम्मीद जताई थी।
लेकिन समाज के बहुसंख्यक तपके का यही कहना है कि अभी दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में कुछ गिनी चुनी चिंगारी सहित चित्रकूट धीरे धीरे दंगे की आग में झुलसता हुआ महसूस होता है।
अराजक तत्व दोनो तरफ से हावी हो चुके हैं एवं अपनी नाक का सवाल बनाकर चुनावी राजनीतिक सतरंज की बिसात में सौहार्द का माहौल बिगाड़ते जा रहे हैं।
जिस पर समय रहते अगर ठीक दिशा निर्देश व कड़ी कार्रवाई हुई तो यकीनन समाज में सही संदेश जाएगा।