इंसानियत और इंसाफ की लड़ाई में जीत मिली महिलाओं को.
By :- Saurabh Dwivedi
विश्व हिन्दू महासंघ मातृशक्ति संगठन की चित्रकूट जिलाध्यक्ष ज्योति करवरिया ने तीन तलाक के खिलाफ बने सख्त कानून पर महिलाओं की तरफ से हर्ष जताया। उन्होंने कहा कि महिलाएं देश की आधी आबादी की संज्ञा से जानी जाती हैं और प्रत्येक महिला का एक ही धर्म है वह सर्वप्रथम महिला होना है। चूंकि प्रत्येक महिला को हिन्दुस्तान में ” जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गिरीयसी ” के भाव से माना जाता है। इसलिये सार्वभौमिक भाव से यह लड़ाई सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की ही नहीं बल्कि प्रत्येक महिला के मान – सम्मान की लड़ाई थी।
उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में कोई भी परंपरा कलंक बन जाए तो उसके खात्मे मे ही समाज का भला होता है। कांग्रेस शासनकाल से साहबानों मामले से उठी आवाज लंबे समय तक दबी रह गई थी। जो प्रथम बार पूर्ण बहुमत से बनी मोदी सरकार में पुनः मुखर हुई। द्वितीय बार मोदी सरकार बनने पर तीन तलाक के खिलाफ बिल पारित होने का इंतजार पीड़ित महिलाओं को था !
ये शाम और आने वाली सुबह नए हिन्दुस्तान की तस्वीर पेश करेगी। वास्तव में पीड़ित महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। धर्म विशेष के कथित ठेकेदार कितना भी धर्म के साथ खिलवाड़ करने की बात कहें परंतु यह इंसानियत और इंसाफ की लड़ाई थी जो अब जीत ली गई है। महिलाओं में हर्ष साफ नजर आ रहा है। यह सच है कि हलाला के जिस्मानी लालची पुरूषों के लिए यह काली रात साबित होगी।
इस कानून का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए। अब महिलाएं मुखर होकर आवाज दे सकेंगी। हिन्दुस्तान की इंसानियत पसंद महिलाओं की तरफ से मोदी सरकार को इस बिल के पास होने पर बधाई।