यह काम अगर कोई कर सकता है तो भाजपा के देवेश कर सकते हैं , भाजपा ने रचा विजय का इतिहास
भारतीय जनता पार्टी जनपद वार चुनाव प्रभारी तय करती है जो अपने जिले मे जाकर चुनाव प्रबंधन मे ध्यान देते हैं मतलब प्रत्याशी तय करने से लेकर जन संपर्क तक इनका विशेष ध्यान होता है। चुनाव के दौरान आवश्यक नीतियों पर विचार विमर्श कर प्रभावी निर्णय लेते हैं।
ऐसे ही चित्रकूट जनपद के प्रभारी प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कोरी बनाए गए थे। जिन्होंने ऐसा परिश्रम किया कि वह चर्चा का विषय बन गया और विजय के बाद उनके प्रबंधन को खास वजह माना गया।
नेताओं की गुटबाजी को इस तरह साधा कि पूरे चुनाव मे भाजपा का विघटन पर्दे के पीछे की बात हो गई। कर्वी नगरपालिका के प्रत्याशी नरेन्द्र गुप्ता व उनके बागी भतीजे को गले मिलाकर नामांकन सभा मे लाकर चर्चा बटोर ली थी कि यह काम अगर कोई कर सकता है तो भाजपा के देवेश कर सकते हैं। इस कारण से राजापुर और मऊ मे भी संगठन की एकता का संदेश चला गया और जनता को महसूस हुआ कि पार्टी प्रत्याशी के साथ हर नेता है।
जैसे एक बड़ा उदाहरण उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की चुनावी सभा मे जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव ने जब संजीव मिश्र को राजापुर नगर पंचायत से चुनाव जिताने की अपील की तो माना गया कि प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कोरी देर रात तक जग कर भाजपा की एकता के लिए काम करते हैं।
मऊ नगर पंचायत मे विघटन को समाप्त करने के लिए पूर्व विधायक आनंद शुक्ला और प्रत्याशी अमित द्विवेदी से संपर्क साधा और बीच का रास्ता निकाल कर भाजपा को बड़े नुकसान से बचा लिया तो यहाँ भी अंततः भाजपा का नगर पंचायत अध्यक्ष अमित द्विवेदी के रुप मे बना , जो मऊ के पहले ही नगर पंचायत अध्यक्ष हैं।
एक सबसे बड़ी जीत की आवश्यकता चित्रकूट धाम कर्वी नगरपालिका मे थी तो प्रभारी देवेश कोरी लगातार कर्वी मे प्रवास किए और चुनाव कार्यालय मे देर रात तक समय देते रहे तो वहीं दिन मे आयोजित सभा एवं जन संपर्क पर विशेष ध्यान देते रहे। उनका यह परिश्रम और काम करने का तरीका भाजपा विजय का सबसे बड़ा कारण बना।
एक प्रेरणात्मक किस्सा तो यह था कि अचानक से परिवार मे कुछ ऐसी बात हुई कि इनका घर पहुंचना बहुत जरूरी था तो पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए घर पहुंचे लेकिन देर रात पुनः चित्रकूट आ गए और अगले दिन से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सफल चुनावी जनसभा के लिए संपूर्ण ताकत झोंक दी।
गौरतलब है कि कर्वी नगरपालिका मे हमेशा निर्दलीय प्रत्याशी जीतते रहे या फिर सपा ने यहाँ विजय का परचम लहराया था लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र गुप्ता ने 5000 वोट से ज्यादा के अंतर से सपा के प्रत्याशी को हराया है और भाजपा का चेयरमैन बनने का इतिहास रच गया।
कुल मिलाकर कहा जाए तो मऊ नगर पंचायत की जीत और राजापुर की जीत तय करती है कि चुनाव प्रबंधन का सबसे बड़ा असर पड़ता है जैसे प्रचार-प्रसार के दौरान मोर्चे के जिलाध्यक्षों से लगातार बात करना और प्रचार मे सक्रिय करना तमाम प्रयास मे यह प्रयास भी शामिल रहा।
एक मानिकपुर नगर पंचायत की सीट बीजेपी हारी है जिसका कारण प्रत्याशी चयन गलत होना बताया जा रहा है और वहाँ पूर्व चेयरमैन विनोद द्विवेदी का खासा प्रभाव रहा , बताते हैं कि अनुसूचित जाति की सीट पर अपने घर मे काम करने वाली महिला को चुनाव लड़ाए तो लोगों को उम्मीद और विश्वास रहा कि आगे यह भी भाजपा का हिस्सा होंगे तो वहाँ भाजपा का वोट निर्दलीय मे आटोमैटिक कन्वर्ट हो गया।
विजयी प्रत्याशियों ने इनके चुनाव प्रबंधन को खूब सराहा है और अपने प्रभारी का आभार व्यक्त कर रहे हैं कि उन्होंने जिम्मेदारी इस तरह संभाली कि प्रत्याशी बिना किसी चिंता के जनसंपर्क मे पहली बढ़त बना ली थी।