Saurabh Dwivedi
समाजसेवी अशोक दुबे ने युवा दिवस पर हमारी खास बातचीत में युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचार पढ़ने एवं आत्मसात करने का आह्वान किया। समाजसेवा के क्षेत्र में गोल्ड मेडलिस्ट अशोक दुबे ने कहा कि नई पीढ़ी के युवा देश और समाज के लिए सकारात्मक ऊर्जा से बड़ा योगदान दे सकते हैं।
बशर्ते युवाओं को धैर्य से काम करते हुए, सही दिशा में आगेे बढ़ना होगा। इंटरनेट के युग में वैश्विक केन्द्र तक हमारी पहुंच सरल हुई है। जिससे आय के साधन के साथ विचारों का संप्रेषण भी सरल हुआ है। आय अर्जन का एक हिस्सा समाज के दीन-हीन लोगों के लिए निकालकर हम इस पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद का भी यही कहना था कि मूर्ति में प्रसाद चढ़ाने से ज्यादा भूखों कोो भूख से तृप्ति प्रदान करने में ईश्वरीय इच्छा निहित रहती है। उनके कहने का तात्पर्य था कि मूर्ति में प्रसाद लगे तो लगे और ना लगे तो उससे ज्यादा गरीबों को भोजन प्रदान करने में सुख है।
हमारे पास आवश्यकता के अनुसार हो जाने पर समाजसेवा ही हर इंसान का कर्तव्य है। उन्होंने इस दौरान सरकार से भी उम्मीद की कि युवाओं को रोजगार प्रदान कर अतुल्य भारत बनाने की ओर अग्रसर होगें।
गौरतलब है कि फर्श से अर्श का सफर तय करने वाले समाजसेवी अशोक दुबे युवाओं हेतु प्रेरणा स्रोत हैं। जिनके जीवन से प्रेरणा लेकर जिंदगी का सफर आसानी से तय हो सकता है।