यदि जिंदगी मिली है , तो उसमे भी अलग-अगल प्रकार के पहलू होते है , और इन्हीं पहलुओं में कोई एक पहलू ऐसा भी होता है , जो एक इंसान की जिंदगी को बना और बिगाड़ सकता है , किसी को निचले स्तर से ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है , किसी को नादानी भुलाकर समझदार बनने को मजबूर कर सकता है ।
मैंने कई बार एक वाक्य सुना है , वैसे सुना तो क्या ही है मैने स्वयं ही उस वाक्य को अपने अस्तित्व की आत्मा में एक स्थान दिया है , कहने को वह वाक्य मात्र एक पंक्ति का ही है , परंतु उसके अर्थ और महत्व का जायजा करना उतना भी आसान नहीं है ।
साफ – साफ शब्दो में कहा जाए तो इस वाक्य को समझने के लिए जिंदगी में किसी भी क्षेत्र में विकास की क्षमता दोगुनी करनी पड़ेगी , और जीवन के उच्च स्तर में पहुंचने के बाद जब आप उस वाक्य की अनुभूति करें , तत्पश्चात उस वाक्य का शाब्दिक अर्थ समझ आयेगा ।
वाक्य को बताने से पूर्व कुछ चंद पंक्तियां से जीवन का उच्च स्तर भी समझ लिया जाए , वैसे जीवन में सफलता या उच्च स्तर को समझना नही बल्कि उसे पाना पड़ता है , जो की बहुत कम ही ऐसे इंसान होते है जो इस शुभचिंतक शब्द को समझने की बजाय इस शब्द को अपने आने वाले वक्त में अपने अस्तित्व को और सुदृढ़ बनाने के लिए दिल और दिमाग से अपनाते हैं ।
दो –चार पंक्तियां भी समझ लेते है कि….
तू थाम ले हाथ मेरा
मुझे ख्वाब ना समझ
चांद की रोशनी में भी तेरी झलक नजर आएगी
बस तू अपने आप में मुझे बसाकर रख ।
कहते हैं की समझदार के लिए इशारा काफी होता है , यह पंक्तियां अपने आप में बहुत कुछ व्यक्त कर रहीं जिसमें इंसान की गरिमा भी छिपी
हुई हैं , और कहें तो व्यक्ति को अपने अस्तित्व की पहचान सुशोभित करने के लिए नित्य अपना कर्म करते रहना चाहिए ।
बातों ही बातों में मैं उस वाक्य को बताना भूल गया जिसके विषय में मैने क्षमता से अधिक बता दिया मेरे अनुमान के आधार पर विषय को अधिक खींचने के बजाय हम अपने उस विषय पर आएं जिसको मैने केंद्रित किया हुआ है ।
“यदि आप वक्त की कदर करते हैं , तो वक्त भी आपकी कदर करेगा । “
वैसे एक बात मानी जा सकती है , इसमें कोई संदेह नहीं की जीवन में वक्त के आधार पर ही जिंदगी में उतर – चढ़ाव , या जिंदगी के पहलू कायम रहते है ।
महज विगत वर्षों से एक बात तो पूर्णतः सत्यापित होते ही आ रही की किसी व्यक्तित्व या उसके जीवन में जो भी परेशानियां या समस्याएं आई हैं , वह पूर्णतः उस व्यक्तित्व के समय से आधारित ही मानी जाती है , सरल शब्द में इस बात की पुष्टि करना तो और भी सरल एवं सहज होगा ।
यदि किसी इंसान के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा है , तो समाज में उपस्थित चार लोग एवं वह इंशान स्वयं इस बात से सहमत होगा की मेरा समय (वक्त ) बहुत अच्छा चल रहा है , और वही यदि उसकी जिंदगी में सब कुछ पूर्णतः नष्ट हो रहा है तो एक बात बिना किसी दबाव के बाहर आएगी की आज मेरी ऐसी हालत का जिम्मेदार मेरा समय है , “सब वक्त का खेल है “।
कहते है की समझदार वह होता है जो अपने हर फैसले को शांति और अपने आप को सहज एवं सरल स्वभाव में रखता है , किंतु वक्त के खेल के सामने सब कुछ फीका है ।
वैसे भी वक्त की धार के सामने तो तलवार भी घुटने टेंग देती है , तो इंसान की क्या मजाल है।
सरल शब्दों में समझे तो जीवन का आगे बढ़ना , गतिमान रहना और गुजर रहे लम्हों को जीना सब कुछ वक्त का ही आधार है , यदि वक्त गतिमान अवस्था से स्थगित हो जाए तो इंसान अपने आप में एक कठपुतली की तरह हो जायेगा ।
वक्त के स्थगित होने से एक बहुत पुरानी याद में जेहन में आई है , कुछ 6 या 7 वर्ष पहले मैंने एक मूवी ” द टाइम मशीन ” देखी थी , और आज भी उसका एक दृश्य मेरे जेहन में है ।
मूवी से – जब एक लड़का अपनी घड़ी से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की समयावधि को नियंत्रित करता है , तो वह अपने मन के आधार पर समय को रोक सकता है , उसे पीछे कर सकता है , और यहां तक कि वह अपने भविष्य को भी देख सकता है।
इसे देखने के बाद मेरे मन में एक ख्याल हमेशा आता है , और ये ख्याल ऐसा है की इस दृश्य को देखे बिना ही यह लगता है की काश अपने पास भी कोई एक ऐसी ही वस्तु होती जिसके आधार पर मैं अपने बीते समय में हुई गलतियों को सुधार सकू , लेकिन ऐसा कभी हो नही पाता ।
इस दुनिया में हर कार्य संभव है परंतु ये कार्य नही , ये ऐसे दृश्य होते है जो मनोरंजन तो महसूस ही करवाते हैं , लेकिन भविष्य में या आने वाले समय के लिए संकेत भी दे जाते हैं ।
और वैसे भी कहते है न की
” जो बीत गया सो बीत गया
अब तो भूल जा उसे
और परवाह करनी ही है तो उसकी कर
जो तेरे जीवन में आने वाला है । ”
समय की परवाह करनी चाहिए , यदि हमसे कुछ बहुत खास हमेशा के लिए हमसे बहुत दूर हो जाता है , तो वह कभी हमारे पास नही आयेगा , और जिस समय वह हमसे दूर गया , उस समय को भी वापस नहीं लाया जा सकता है।
समय के साथ कदम बढ़ाना ही सहायक , नही वक्त की बढ़ती रफ्तार कब आपके खिलाफ हो जाए , इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता , क्योंकि जो समय आज चल रहा है वह दुबारा कभी वापस लौटकर नहीं आएगा ।