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By – Saurabh Dwivedi

कोई
गिला नहीं
कोई
शिकवा नहीं

फिर भी अलविदा हो गए
हर साल के
वेलेन्टाइन डे की तरह

हाँ यही है
मुहब्बत
हर साँस आती है
हर साँस जाती है

धड़कनों में बहती
मन में रमी हुई
मुहब्बत
जहाँ हर दिन
मुहब्बत का होता है

किसी हफ्ते की मोहताज नहीं
मुहब्बत ……

वो किसी शिकवा शिकायत के भी
अलविदा हो जाया करती है

तुम्हारा ” सखा “

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