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@Saurabh Dwivedi

महामारी के समय में व्यापार के विकल्प पर विचार करना चाहिए। कोई नया काम शुरू करने से पहले संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। लाभ – हानि के गुणा -भाग के साथ मानवता को सर्वोपरि रखना चाहिए , कुछ ऐसी ही बात प्रसिद्ध व्यवसायी रतन टाटा ने भी कही है।

वायरस संक्रमण से व्यापार मे प्रतिकूल प्रभाव खूब पड़ा और असर व्यापारिक प्रतिष्ठान पर काम करने वाले युवाओं की जिंदगी पर भी पड़ा है। लाकडाउन और अनलाक की प्रक्रिया तक के अनुभव पर रामेश्वर गारमेंट्स के मालिक शिवाकांत शुक्ला से गहन चर्चा हुई। उन्होंने इक्कीस दिन के लाकडाउन और अनलाक की प्रक्रिया तक का पूर्ण अनुभव साझा किया।

नगर के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान चित्रकूट इंटर कॉलेज सड़क पर स्थित रामेश्वर गारमेंट्स को लगभग दो वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। कोलाहल से मुक्त क्षेत्र में कपड़े का यह शोरूम काफी आकर्षक है तो वहीं महिलाओं के लिए डिजाइनर साड़ियों से लेकर युवाओं के ट्रेंड कर रहे ड्रेस भी यहाँ मिलते हैं।

साड़ी शो रूम

दो वर्ष के व्यापारिक प्रतिष्ठान का मतलब ही है कि वह अपने शैशवकाल मे होता है। इसी शैशवकाल में लाकडाउन हो जाने का मतलब है कि लेन – देन ठप्प ! ग्राहकों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया।

जब हमने सवाल किया कि क्या अनलाक वन के साथ ग्राहकों का पहले की तरह आना – जाना शुरू हो चुका है ? क्या ग्राहक पहले की तरह खरीदारी कर रहे हैं या खरीदने की क्षमता मे कमी आई है ?

उनका पहला जवाब था कि मेरे नियमित ग्राहक हैं। ऐसे ग्राहक जो चलते-चलते मेरे शो रूम मे इत्तेफाक से आए और खरीदारी करने के बाद अच्छा अनुभव होते ही वे मेरे नियमित ग्राहक हो गए। उन्होंने कहा कि चूंकि मेरा शो रूम मेन मार्केट से अलग हटकर है तो यहाँ सही मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता के कपड़े मिलने पर ग्राहक पुनः यहीं आना पसंद करता है , यही मेरे व्यवसाय की सफलता का रहस्य है।

साड़ियां ही साड़ियां

श्री शुक्ला ने कहा कि मेरे नियमित ग्राहकों का पुनः आगमन शुरू हुआ है। लेकिन यह सच है कि अब आदमी सोच – समझ कर आवश्यकता के अनुरूप ही धन खर्च कर रहा है। पहले शौक के नाम पर भी लोग शौक से धन खर्च करते थे परंतु अनिश्चितता के माहौल में इतना अंतर अवश्य आया है जबकि लाकडाउन के समय व्यापार से रोजी – रोटी चलना मुश्किल हो रही थी।

उन्होंने कहा कि महामारी ने मानवता का भी बड़ा संदेश दिया है। वायरस ने साफ संदेश दिया है कि भीड़ से दुनिया का कोई भला नहीं है और अनिश्चित जिंदगी में अनिश्चित अपार अवैध ढंग से कमाए हुए धन की भी कोई उपयोगिता नहीं रह जाती है , इसलिए मानवता के कार्य करते हुए प्रकृति संरक्षण करना मनुष्य का प्रथम कर्तव्य हो गया है। प्रत्येक व्यापारी को मानवता के कार्य महामारी के समय जैसे समय-समय पर करते रहना चाहिए। चूंकि ऐसे ही सामाजिक कार्यों से सभी मे ऊर्जा का संचार होता है।

श्रीशुक्ल ने कहा कि हमारी प्राथमिकता में मानवीय व्यापार है। ग्राहक को उचित मूल्य पर कम लाभ में सुविधा प्रदान करना मेरी व्यापारिक सोच है। इसी सोच के साथ व्यापार का यह लंबा सफर पुणे से चित्रकूट तक का तय हुआ है। इस लंबे सफर के बीच मानवीय व्यापार ही सबसे बड़ी वैशाखी है और महामारी के समय मानवता का चेतना स्रोत सब मे जागृत हुआ है। यह संसार हमारा है और मानवता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है , इसलिए व्यापार मे जो मानवता को प्रमुखता देंगे उनका व्यापार प्रतिदिन खिलने वाले पुष्प की तरह खिलता रहेगा।

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Saurabh Chandra Dwivedi
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Karwi Chitrakoot }

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