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@Amit shukla

ठीक इसी वक़्त

बेबस और लाचार हैं सब
फैली  देश मे महामारी

फूला है सरकारी अमला
हो जैसे गैस बीमारी

सत्ता का भत्ता चाट रहा
खादी वाला व्यभिचारी

सड़क मार्ग या पटरी रेल की
ढेर है लगा भूख ने जान मारी

फरियादी आश लगाए बैठा
थानेदार छोड़ रहा हस्त पिचकारी

बेगैरत लिखता कविता
गाता है मल्हार मुरारी

ज्ञान नही शब्दजाल है
है कविता लिखने की बीमारी

{ अमित शुक्ला इंदुमति के लिए प्रसिद्ध हुए , जब आप प्रेम कहानी लिख रहे थे और तब से अब कोरोना संक्रमण काल में समाज मे व्याप्त मानसिक संक्रमण पर करारा प्रहार करती हुई रचना पेश है }

(कृष्ण धाम ट्रस्ट ” सोशल केयर फंड ” में 100, 200, 500 और 1000 ₹ या ऐच्छिक राशि का सहयोग कर शोध परक लेखन / पत्रकारिता के लिए दान करें।
Saurabh chandra Dwivedi
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karwi Chitrakoot )

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