आचार्य आश्रम का विशेष अभियान हर – हर हनुमान चालीसा घर-घर हनुमान चालीसा
चित्रकूट : धर्म जागरण एवं पुनर्जागरण जैसे कार्यक्रम वैसे ही जरूरी हैं जैसे जामवंत हनुमान जी को जगाए और बोले कि ” का चुपि साध रहे बलवाना ” तो हनुमान जी को अपनी अपार शक्तियों का अहसास जागृत हो गया और समुद्र लांघ कर सीता मइया का पता लगा आए। ऐसे ही मानव समाज को सुप्तावस्था से जागृत करने की आवश्यकता रहती है अन्यथा मनुष्य अपनी शक्तियों को खो देता है और धर्म पर अधर्म सवार हो जाता है।
इसलिए जागरण द्वारा समस्त समाज को एक सूत्र मे पिरोने के लिए समय-समय पर महापुरूष – देव पुरूष और धार्मिक संस्थान अभियान चलाते रहे हैं। एक ऐसा ही कार्यक्रम हर – हर हनुमान चालीसा घर-घर हनुमान चालीसा पवित्र भूमि चित्रकूट शीघ्र ही चलने वाला है।
इस हेतु की जानकारी पूजनीय गुरूदेव श्री श्री 1008 डा. बदरी प्रपन्नाचार्य महाराज जी से प्राप्त हुई। आचार्य आश्रम अपनी स्थापना के समय से लगातार मनुष्यों मे नैतिकता का पालन करने एवं धर्म के प्रति जागरूक रहने के लिए सतत संलग्न रहा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के दिन संध्या मिलन के समय पू. गुरूदेव डा. बदरी प्रपन्नाचार्य महाराज जी धर्म चर्चा करते हुए कहने लगे कि एक विशेष प्रयोजन से हर हर हनुमान चालीसा घर-घर हनुमान चालीसा का कार्यक्रम बना है , जिसकी धर्म पुस्तकें नागपुर से प्रकाशित हो रही हैं।
इस कार्यक्रम की आवश्यकता को बल स्वामी विदिशानंद और उनके शिष्य शरतचंद्र के संवाद से स्पष्ट हो जाती है ; एक बार शरतचंद्र ने चिंतित नजर आ रहे स्वामी जी से पूछ ही लिया आप किस विचार मे डूबे हुए हैं ?
उन्होंने कहना शुरू किया। ” वत्स , जिस प्रकार वृक्ष के फल उसके लिए नही होते , उसी प्रकार मेरा यह जीवन भी मेरे लिए नहीं है। मैं अपने परमपूज्य गुरूदेव को अपना जीवन समर्पित कर चुका हूँ और उन्होंने मुझे एक महान उद्देश्य सौंपा है। मातृभूमि का उद्धार और पुनर्जागरण ही मेरा उद्देश्य है। देश मे आध्यात्मिकता का क्षरण हो रहा है। जो देश विश्व का सिरमौर था , वह आज दीन दशा मे है , यह देखकर मेरी अंतरात्मा दुखी होती है। मैं किस प्रकार इसके गौरव और सम्मान को पुनः उस स्तर पर ले जाऊं ? उद्देश्य विराट है और शक्ति व संसाधन अल्प हैं। यही मेरी चिंता का विषय है। ” स्वामी जी ने गंभीरता से कहा।
तब उनके शिष्य शरतचंद्र ने इस पवित्र यज्ञ मे सहयोग करने की इच्छा जताई और धर्म – देश के लिए जीवन समर्पित कर दिया। यहाँ ज्ञात हो कि आगे चलकर स्वामी विदिशानंद ही स्वामी विवेकानंद नाम से प्रख्यात हुए।
आज एक बार फिर इतिहास स्वयं को दोहरा रहा है। आचार्य आश्रम परंपरा के परम पद को प्राप्त कर चुके पूज्यनीय गुरूदेव श्री श्री 1008 संकर्षण जी महाराज के युवा शिष्य पू. गुरूदेव श्री श्री 1008 डा. बदरी प्रपन्नाचार्य महाराज धर्म जागरण , पुनर्जागरण और लोक कल्याण के लिए हर हर हनुमान चालीसा घर-घर हनुमान चालीसा अभियान चलाने जा रहे हैं व अनवरत अपनी दिव्य वाणी से मानस को धर्म अध्यात्म से अनुराग रहे इस हेतु प्रेरित करते हैं।
यह सच है कि देवलोक प्रस्थान करने के समय श्रीराम भगवान अपने भक्त हनुमान जी को यहीं पृथ्वीलोक मे अजर अमर रहने का आदेश दे गए थे। जिससे कलयुग मे धर्म की रक्षा हो सके और जो मनुष्य हनुमान जी महराज की सेवा और भक्ति करेगा उसके तन मन से विकार नष्ट होंगे और संकट से मुक्ति मिलेगी।
सनातन धर्म मे हिन्दू समाज को भ्रमित करने का काम लगातार एक विशेष वर्ग द्वारा किया जाता रहा है और समाज को विभाजित करके उन लोगों ने अपने कार्यों को अंजाम दिया तो वहीं हिन्दू एकता और धर्म जागरण के लिए संत समाज का सबसे बड़ा योगदान आदिकाल से रहा है।
अब इक्कीसवीं सदी मे हर हर हनुमान चालीसा घर-घर हनुमान चालीसा से धर्म जागरण होगा जिसमे धर्म संवाद और समाज की एकता अखंडता को लेकर जागरण कार्यक्रम लगातार चलता रहे। यह भक्तों की धर्म जागरण मनुष्य जागरण मे रूचि से संभव होगा जैसे पूजनीय गुरूदेव इक्कीसवीं सदी 2022 मे इस महान कर्म यज्ञ को करने का संकल्प लिया है।
संभवतः इस जानकारी को पढ़ने के बाद समाज इस कार्यक्रम मे रुचि लेगा तो आचार्य आश्रम मे संपर्क कर सकते हैं।