रात को टाइट करेंगे माहौल योगी लेंगे क्लास
भाजपा चित्रकूट मे संगठन बनाम सत्ता से जंग का वाक्य चर्चा का विषय है परंतु इस वाक्य के पीछे एक चर्चित डीएम साहब के समय से माहौल को देखा जाए तो जिलाधिकारी कार्यालय मे दखल देने तक की ताकत रखने की जंग की चर्चा खूब है।
2022 के विधानसभा चुनाव मे कर्वी विधानसभा की हार व मानिकपुर विधानसभा मे गठबंधन प्रत्याशी की करीबी विजय से सीएम योगी आदित्यनाथ काफी खफा महसूस किए जा रहे हैं क्योंकि इसी कूटनीति और षड्यंत्र के खेल मे लोकसभा चुनाव मे भी बांदा लोकसभा अप्रत्याशित रूप से भाजपा हार गई थी।
जिस चित्रकूट से योगी आदित्यनाथ को गहरा लगाव रहा उस चित्रकूट मे पीएम के रत्न होने के बावजूद ऐसी शिकस्त की गूंज सुनने से सीएम काफी सदमे मे भी हैं कि जिस जनपद को आकांक्षी जनपद बनाया वहाँ किसी और ने नही बल्कि अपनों ने ही खुलेआम हार का दरवाजा जोर से भड़भड़ाया।
तमाम फेसबुक लाइव और स्क्रीन शाॅट सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचने की खूफिया जानकारी मिली है। ऐसे ऐसे शब्द का प्रयोग किया गया जिससे जाति विशेष को भड़काया गया और खुद के राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए जाति के राजनीतिक अस्तित्व का काला सवाल खड़ा किया गया।
सीएम इस बात से नाराज हैं कि राष्ट्रवाद की कब्र खोदकर जातिवाद का पुतला खड़ा किया गया जिसमे से कथित समाजवाद के जिन्न का जीतना संभव किया गया। इसके बावजूद लगातार प्रदेश सरकार को ट्विटर और फेसबुक के जरिए इस तरह घेरा गया जिससे सपा और अखिलेश यादव को बढ़त का दरवाजा खोला गया।
इसलिए इन दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ लखनऊ से चित्रकूट पर ब्रह्मास्त्र जैसी नजर बनाए हुए थे। उन्होंने एक ऐसी कार्रवाई भी की है जो सीधे जनता के पास खुलेआम तो नही पहुंची किन्तु फेसबुक लाइव करके जातिवाद का कथित धागा उछालने वालों को मैसेज दे दिया गया है।
सीएम के रात्रि प्रवास मे ऐसी ही गुप्त क्लास लगने की बात सामने आ रही है जिसमे वो संगठन और सत्ता का पाठ पढ़ाएंगे और साफ शब्दों मे उंगली तानकर ऐसी हिदायत देंगे कि 2027 मे विजय का रूट मैप तैयार हो सके क्योंकि जिस प्रकार की सड़क छाप वर्चस्व की जंग चित्रकूट जनपद से लगातार सुनाई दे रही है उससे सत्ताइस मे भी भाजपा व गठबंधन को हार का डर सता रहा है।
यह बात दीगर है कि सोशल मीडिया पर कही जा रही कथित बातों से सिर्फ और सिर्फ भाजपा को ज्यादा नुकसान हुआ है और जातिवाद की विशेष जाति को रत्ती भर भी लाभ नही हुआ है , हाँ इतना जरूर हुआ है कि राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने वाले नेताओं की छाती को शिमला वाली ठंडक जरूर पहुंची है।
इसलिए सीएम योगी आदित्यनाथ का कहर सिर्फ और सिर्फ अफसरशाही पर नही बरसेगा अपितु लोकल लीडरशिप पर ऐसा हंटर चलने वाला है कि संसद से लेकर विधानसभा और पंचायत स्तर तक सबके लोक व्यवहार मे गंभीर परिवर्तन होने की संभावना जताई जा रही है।